गढ़वा : राज्य के 20 जिले सुखाड़ की चपेट में है. किसानों की स्थिति बदतर हो गयी है और राज्य से लेकर केंद्र के मंत्री बिहार में दंडवत करने में मशगूल हैं. यह सरकार की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. उक्त बातें राजद के प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह ने गुरुवार को अपने आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में कही. उन्होंने कहा कि सूबे में पंचायत चुनाव की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गया है.
ऐसे में वे चुनाव आयोग से आग्रह व राज्य सरकार से मांग करते हैं कि मनरेगा और खाद्य सुरक्षा अधिनियम को आचार संहिता से बाहर रखते हुए राज्य के किसानों के बीच राहत कार्य चलाया जाया. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए किसानों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत किसानों के बीच सिंचाई कूप की व्यवस्था होनी चाहिए, साथ ही कृषि ऋण माफ करें और बिजली बिल की वसूली पर रोक लगायें.
उन्होंने कहा कि दो अक्तूबर को प्रधानमंत्री दुमका में थे, लेकिन सुखाड़ के मामले में मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री से पत्राचार किया जा रहा है. यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य के किसान दुखी हैं और सरकार समीक्षा की बात कह कर उनके जख्म पर नमक छिड़क रही है. उन्होंने कहा कि सरकार काला कनून बनाकर जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा कर गरीबों को परेशान करने का काम किया है. श्री सिंह ने कहा कि एनडीए के 16 माह के कार्यकाल में बेतहाशा महंगाई बढ़ी है. वर्ष 2014 में दाल की कीमत 60 रुपये थी अब 200 रुपये हो गयी. काला धन का जुमला अब गायब हो गया. राजग की सरकार हर मोरचे पर विफल है. प्रेसवार्ता में रंग बहादुर सिंह, अरविंद मिश्रा, संजय कांस्यकार, युवा अध्यक्ष सुरज सिंह, लाल सिंह,अभिषेक सिंह आदि उपस्थित थे.