गढ़वा : गढ़वा पुलिस तीन वर्ष से फरार कुख्यात शूटर शमीम रंगसाज को गिरफ्तार कर लिया है. एसडीपीओ हीरालाल रवि ने गढ़वा थाना में एक पत्रकार वार्ता कर इसकी जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि अपराधी शमीम रंगसाज को पचपड़वा के लालमाटी से गिरफ्तार किया गया है. उसके ऊपर कई मामले दर्ज हैं. वह रंका के बर मुहल्ला का रहनेवाला है. उसके पास से एक देशी पिस्तौल, 315बोर के दो गोली व एक मोबाइल भी बरामद किया है. एसडीपीओ ने बताया कि पिछले दिन गढ़वा थाना के तिलदाग पंचायत की मुखिया श्वेता दुबे के पति अरुण दुबे पर गोली चलाने में शामिल था.
उन्होंने बताया कि शमीम छोटू रंगसाज, उत्तम उपाध्याय व पिपरा गांव के कुदुश अंसारी ने गढ़वा बस स्टैंड के एजेंटी में ठेकेदारी को लेकर उसकी हत्या करने की कोशिश की थी. इन अपराधियों का मानना था कि अरुण दुबे विकास दुबे के लिए काम करता था तथा वह विकास दुबे को पैसा भी पहुंचाता था. शमीम गढ़वा के सोनपुरवा निवासी रामजी ताइद को भी मारने के लिए एक लाख रुपये की सुपारी ली थी. रामजी व डंडा कोटा निवासी उसके साढु नंदू राम के कहने पर यह सुपारी दी गयी थी.
इसमें 25 हजार रुपये शमीम ले चुका था. किंतु संयोग से ऐन मौके पर पुलिस को उसकी सूचना मिल गयी, जिसके कारण शमीम रंगसाज का यह योजना विफल हो गयी. उन्होंने बताया कि मेदिनीनगर में जिला स्कूल के पास सहारा इंडिया से 3.50 लाख रुपये लूटने में भी शमीम का हाथ था.
इस कांड में वह बबलू रंगसाज, अमित पासवान आदि के साथ 11 महीने तक जेल में रहा था. फरवरी 2013 में फरठिया मोड़ पर भी उसने 6.79 लाख रुपये की लूट की थी. इसमें उसके साथ संतोष उपाध्याय, झुमन साव, नीतिन लाल व बबलू गुप्ता भी शामिल थे. इसी तरह इसने मार्च 2013 में रंका बाजार में विनोद सोनी नामक व्यवसायी का अपहरण करने का प्रयास किया तथा गोली चलायी थी.
उक्त कांड में छोटू व फैयाज रंगसाज भी शामिल था. इसी तरह इस पर रंका बस स्टैंड में महेंद्र सोनी के साथ मारपीट करने का भी आरोप है. इसमें भी वह 24 दिन जेल में रह चुका है. उन्होंने बताया कि शमीम 2003 से 2009 तक छोटू रंगसाज के लिए शूटर का काम करता था.
दोनों आपस में मौसेरे भाई हैं. लेकिन बीच में दोनों के बीच विवाद हो जाने के कारण शमीम अपना अलग गैंग तैयार कर लूटपाट की घटना को अंजाम दे रहा था. उसने रंका के बरदरी में भी मोटरसाइकिल की लूट की थी. उक्त लूट में बबलू गुप्ता व छोटू तिवारी भी शामिल था. पुलिस ने शमीम की गिरफ्तारी के लिए एसडीपीओ के नेतृत्व में एक टीम गठित किया था. इस टीम में इंस्पेक्टर अशोक कुमार, एसआइ जीएन सिंह व एएसआइ सन्मुख राम शामिल थे.