– दिनेश पांडेय –
नगरऊंटारी (गढ़वा) : सालाना तीन करोड़ रुपये राजस्व देनेवाला नगरऊंटारी स्टेशन विभागीय उपेक्षा का दंश ङोल रहा है. स्टेशन की छत से पानी टपकता है. विद्युत आपूर्ति नियमित नहीं होने के कारण पूरा स्टेशन अंधकार में डूबा रहता है.
स्थानीय लोगों ने कई बार रेल विभाग के जीएम, डीआरएम को समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन स्थिति यथावत है. इस संबंध में स्टेशन प्रबंधक कहते हैं कि कागज का हाल बुरा है.
रिले रुम, आइपीएस रुम को प्लास्टिक से ढंक कर बचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जब छत की मरम्मत नहीं हुई थी, तो दो–चार जगह ही पानी टपकता था. जब मरम्मत हो गयी तो कई जगह से पानी टपकने लगा.
अंधेरे में डूबा रहता है स्टेशन : अधिकांश समय स्टेशन अंधेरे में डूबा रहता है. इधर पंचायत द्वारा जब से बाहर सोलर लाइट लगी है, यात्रियों को कुछ राहत मिली है. स्टेशन के अंदर सीढ़ियां चढ़ना मुश्किल है.
जेनेरेटर तो चलता है, लेकिन इससे सिर्फ पैनल, सिग्नल को ही बिजली मिलती है. 2010 में विभाग के जीएम व डीआरएम ने स्टेशन का निरीक्षण किया था. समस्याओं को सुन कर उन्होंने आश्वासन भी दिया था लेकिन नतीजा सिफर निकला.
कंप्यूटराइज्ड आरक्षित टिकट की सुविधा नहीं : अनुमंडल वासियों को टिकट आरक्षित कराने की सुविधा यहां नहीं है. यदि किसी को कंप्यूटराइज्ड टिकट करानी होती है तो उसे या तो 56 किमी पश्चिम रेणुकुट स्टेशन जाना पड़ता है या 40 किलो मीटर पूरब गढ़वा जाना पड़ता है.
इस रेल मार्ग पर दो जोड़ी पैसेंजर व छह जोड़ी एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरती है.
एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं : एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से दूर की यात्र करनेवाले यात्रियों को काफी परेशानी होती है. इन यात्रियों को या तो 56 किमी पश्चिम उक्त ट्रेन को पकड़ने जाना पड़ता है या 50 किमी पूरब गढ़वाटांड़ जाना पड़ता है.
स्टेशन पर जिन एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं है उनमें कोलकता–अहमदाबाद (19414) एक्स, हावड़ा–भोपाल (13025) एक्स, संतरागाछी–अजमेर (18009) एक्स व कोलकता–अजमेर (19607) एक्स शामिल है.
इन एक्सप्रेस ट्रेनों का यहां ठहराव नहीं होने से आये दिन चेन पुलिंग की घटनाएं होती है. विगत 15 दिनों में चैन पुलिंग कर उतरने वाले डेढ़ दर्जन से अधिक यात्रियों को आरपीएफ द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. रेल रोको विस्तार संघर्ष समिति द्वारा इन एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव व यात्रियों को सुविधा प्रदान करने को लेकर कई बार धरना दिया गया. रेल अधिकारियों ने आश्वासन भी दिया, लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ भी नहीं दिखा.