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कॉलेज के लिए खरीद कर दी 5.10 एकड़ जमीन

कॉलेज में पढ़ रहे हैं 8000 विद्यार्थी पलामू के राजहरा के बगल में लोहडा ग्राम में सूरत पांडेय उच्च विद्यालय की स्थापना करायी थी गढ़वा :एकीकृत बिहार राज्य के पलामू जिले के गढ़वा में पांच जून 1983 को उच्च शिक्षा के लिए गढ़वा के तत्कालीन विधायक युगल किशोर पांडेय ने अपने पिता जाने-माने समाजसेवी सूरत […]

कॉलेज में पढ़ रहे हैं 8000 विद्यार्थी

पलामू के राजहरा के बगल में लोहडा ग्राम में सूरत पांडेय उच्च विद्यालय की स्थापना करायी थी
गढ़वा :एकीकृत बिहार राज्य के पलामू जिले के गढ़वा में पांच जून 1983 को उच्च शिक्षा के लिए गढ़वा के तत्कालीन विधायक युगल किशोर पांडेय ने अपने पिता जाने-माने समाजसेवी सूरत पांडेय के नाम पर सूरत पांडेय डिग्री कॉलेज की स्थापना की थी. उनकी सोच थी की गढ़वा के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा का कोई केंद्र नहीं है. विधायक श्री पांडेय ने शहर के चिनिया मोड़ के पास अपने विधायक आवास स्थित निजी भूखंड पर भवन बनाकर महाविद्यालय का संचालन शुरू कराया.
महाविद्यालय की अच्छी स्थिति को देखते हुए वर्ष 1988 में तत्कालीन बिहार सरकार ने सभी विषयों में अस्थायी संबद्धता प्रदान किया. इसके बाद कॉलेज अनवरत चलता रहा. छह कमरे में संचालित महाविद्यालय को बिहार सरकार ने सन 1996 में सभी संकायों के सभी विषयों में स्थायी संबद्धता प्राप्त हुई. तब महाविद्यालय के सभी शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी अल्प मानदेय में महाविद्यालय के विद्यार्थियों को शिक्षा देते रहे.
महाविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी और शासी निकाय के सचिव पूर्व विधायक युगल किशोर पांडेय ने गढ़वा प्रखंड के चेतना ग्राम में पांच एकड़ 10 डिसमिल जमीन खरीद कर अपने स्वर्गीय पिताजी के नाम पर दान किया, जहां वर्तमान में महाविद्यालय का संचालन किया जा रहा है. जहां हजारों छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. इस महाविद्यालय को नैक से सी ग्रेड प्राप्त है. इसके अलावा श्री पांडेय द्वारा शिक्षा के लिए अपने पैतृक गांव राजहरा के बगल में लोहडा ग्राम में सूरत पांडेय उच्च विद्यालय की स्थापना भी करवाया था, जहां आज हजारों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
महाविद्यालय के प्रथम प्राचार्य रामसेवक तिवारी को बनाया गया था, जिन्होंने चार साल तक महाविद्यालय का संचालन किया. इसके उपरांत दिलीप कुमार चौबे को प्राचार्य बनाया गया. वर्तमान में रविंद्र कुमार द्विवेदी प्राचार्य का पद संभाल रहे हैं. सूरत पांडेय मूल रूप से राजहरा कोलियरी के संचालक थे, जबतक रजहारा कोल माइंस को भारत सरकार द्वारा अधिग्रहण नहीं किया गया था. लेकिन लोगों के बीच सूरत पांडेय की छवि एएक समाजसेवी के रूप में थी.
वे हर उन बेटियों की शादी के लिए मदद करते थे, जिनके पिता शादी खर्च उठाने में असमर्थ थे. इसके अलावा भी सूरत पांडेय का गरीब असहायों की सेवा करना दिनचर्या में शामिल था. लोग कहते हैं कि जो कोई भी उनके पास गया, खाली हाथ नहीं लौटा. यही कारण है कि पलामू में लोग उन्हें लोग दानवीर कर्ण के रूप में जानते थे. उनके पुत्र युगल किशोर पांडेय ने उनके नाम पर महाविद्यालय की स्थापना कर उनको स्थयी रूप से ख्याति प्रदान करने का काम किया है.

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