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विद्यालय भूमि पर कब्जा को लेकर स्कूल प्रबंधन सकते में

भवनाथपुर : प्रखंड के झगराखांड़ में शिक्षण संस्थान के लिए दान मे दी गयी भूमि पर एक बार फिर से अवैध कब्जा का सिलसिला शुरू हो गया है. राजकीय बुनियादी विद्यालय जीरहुला के आस पास खाता संख्या 939 रकबा 1.55 एकड़ भूमि पर पिछले एक सप्ताह के अंदर गांव के ही अनिल पाठक द्वारा जुताई […]

भवनाथपुर : प्रखंड के झगराखांड़ में शिक्षण संस्थान के लिए दान मे दी गयी भूमि पर एक बार फिर से अवैध कब्जा का सिलसिला शुरू हो गया है. राजकीय बुनियादी विद्यालय जीरहुला के आस पास खाता संख्या 939 रकबा 1.55 एकड़ भूमि पर पिछले एक सप्ताह के अंदर गांव के ही अनिल पाठक द्वारा जुताई कर कब्जा करने के आरोप विद्यालय प्रबंधन ने लगाया है.जमीन कि जुताई होने से विद्यालय प्रबंधन में आक्रोश है.
विदित हो कि झगराखांड गांव के पूर्वजों द्वारा शिक्षण संस्थान के लिए वर्ष 1968 में 270.33 एकड़ जमीन राज्यपाल के नाम दान स्वरूप दी थी़ दान किया गया उक्त भूमि का कुछ हिस्सा राजकीय बुनियादी विद्यालय के आस पास है. विद्यालय प्रबंधन के अनुसार पिछले एक सप्ताह से अनिल पाठक द्वारा खाता 939 रकबा 1.55 एकड़ तथा खाता 777 एवं 774 में भी जमीन जोत कर कब्जा किया जा रहा है़
प्रधानाध्यापक सुरेंद्र प्रसाद यादव एवं अध्यक्ष जगत मेहता ने कहा कि अनिल पाठक विद्यालय की जमीन को जबरन कब्जा कर रहे हैं. इसे रोकने के लिए सीओ से लेकर उपायुक्त तक गुहार लगाया, लेकिन कोई नहीं सुन रहा है़ इस बारे में पूछे जाने पर अनिल पाठक ने कहा कि आरोप बेबुनियाद है. वह जमीन उनकी है और वे अपनी जमीन पर जोत-कोड़ कर रहे हैं. वहीं अंचलाधिकारी संदीप अनुराग टोप्पो ने कहा नये हाल सर्वे में खाता अनिल पाठक के नाम से है. इसलिए सरकार के नजर मे वह रैयत हैं . सीओ ने कहा कि यदि विद्यालय प्रबंधन टाइटल सूट में जायेगा तो हो सकता है विद्यालय की जमीन वापस हो जाये.
डीसी एलआर ने 24 लोगों की कर दी है अवैध जमाबंदी
बताते चलें कि विद्यालय की जमीन पर करीब 12-13 वर्षों से कब्जा करने का सिलसिला शुरू है. गांव के ही करीब 22-23 ग्रामीणों को तत्कालीन डीसीएल आर डीडी झा द्वारा अवैध मालबंदी कर दिया गया था. तब गांव के लोगों ने जुलाई 2008 में आंदोलन कर मालबंदी रद्द करने की मांग की थी.आंदोलन में सड़क जाम से लेकर लाठी चार्ज तक हुए. अंतत: तत्कालीन उपायुक्त के निर्देश पर आधा दर्जन से अधिक लोगो का मालबंदी रद्द कर दिया गया था. इधर एक बार फिर से विद्यालय की दान में दी गयी भूमि पर कब्जा करने की कवायद से विद्यालय प्रबंधन परेशान है़
ऋषिराज पाठक ने जुटायी थी 270 एकड़ जमीन
झगराखांड गांव के पूर्वजो ने गांव मे ही शिक्षण संस्थान के लिए राज्यपाल के नाम 270.33 एकड़ भूमि दान में दी थी. पूर्वजों का सपना था कि उनके गांव में शिक्षा के गुणात्मक विकास के लिए सरकार अग्रसर होगी और कई शिक्षण संस्थान खोले जायेंगे. परंतु पूर्वजो का सपना एक सपना बन कर ही रह गया. भूमि दाताओं को दान के एवज में न तो पुरस्कार न ही मान सम्मान मिला. आज उनकी पीढ़ी खेतों में हल जोतकर गांव मे पूजा पाठ कराकर जीविकोपार्जन करने को विवश है. वर्ष 1951-52 में झगराखांड के मुखिया ऋषिराज पाठक ने गांव मे शिक्षण संस्थान के विस्तार को लेकर गांव के लोगों से भूमि दान करने कि इच्छा प्रकट किया था.उन्होंने एक कदम बढ़ाते हुए 136 एकड़ भूमि खुद दान मे दे दी. इसके पश्चात जगदीप पाठक,अक्षयवर पाठक,राविलास पाठक,परमेश्वर पाठक ने मिलकर 101 एकड़ तथा जगतनरायण मिश्रा ने 35 एकड़ भूमि दान स्वरूप दी थी़
सरकार 18 वर्षों से घोषणा ही करती रही
झागराखांड गांव निवासी दिवंगत ऋषिराज पाठक द्वारा एकीकृत बिहार में विद्यालय के लिए 270 एकड़ जमीन जुटाने में अहम भूमिका निभायी थी़ एकीकृत बिहार में किसी भी विद्यालय के पास इतनी जमीन नहीं थी़ राज्य गठन के बाद उक्त जमीन पर सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई घोषणायें की़ लेकिन वह घोषणा ही रह गयी़ इसके बाद भानु प्रताप शाही विधायक व मंत्री बने तो उन्होंने उक्त भूमि पर आइटीआइ कॉलेज खुलवायी़ इस दौरान गांव के हो लोगों की नजर स्कूल की जमीन पर लगी रही और वर्ष 2006-07 में नगरऊंटारी अनुमंडल में कार्यरत भूमि उप-समाहर्ता धरनीधर झा के द्वारा दो दर्जन लोगों को विद्यालय की भूमि अवैध तरीके से मालबंदी कर दी गयी़

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