चक्रधरपुर : नूरानी मसजिद दंदासाई की बुनियाद 1965 में रखी गयी थी. बुनियाद रखे जाने के बाद कई सालों तक मसजिद का निर्माण कार्य बंद रहा. प्रारंभ में दंदासाई के लोग जामा मसजिद में नमाज पढ़ने जाया करते थे.
इसके बाद दंदासाई उर्दू मध्य विद्यालय के एक कमरे में नमाज पढ़ी जाने लगी. करीब 15 सालों तक स्कूल में नमाज होती थी. यहां प्रथम इमाम अब्दुल सत्तार साहब थे. अब्दुल मजीद ने मो अज्जीन की जिम्मेदारी निभाया था. बाद में हाफिज अमीरूद्दीन साहब ने इमामत किये. रमजान में पहला जुमा उन्होंने ही पढ़ाया था.
नूरानी मसजिद कमेटी के अध्यक्ष मो रब्बानी उर्फ टिलटिल साहब कहते हैं कि जब मुहल्ले की आबादी काफी बढ़ गयी, तो मसजिद की जरूरत महसूस की जाने लगी. 1965 में डाली गयी बुनियाद में 1998 में निर्माण का काम शुरू किया गया. 2001 में मसजिद बन कर तैयार हुई.
मसजिद के इमाम मौलाना सऊद अनवर साहब को बनाया गया. वर्तमान में भी वह इमाम बने हुए हैं. यह मसजिद दो मंजिला है, तीसरी मंजिल का निर्माण की योजना बनायी गयी है. मसजिद में एक साथ करीब 600 नमाजी नमाज अदा कर सकते हैं. इस समय मसजिद का निर्माण कराया जा रहा था, तब अब्दुल खालिक साहब सदर और अमजद खान सचिव हुआ करते थे.
मौलाना सऊद अनवर, मो रब्बानी, हाजी मो सेराजुद्दीन, हाजी अरशद अहमद खान, अमजद खान, मास्टर जकी अहमद, एनुल हक, अली शेर और मुहल्ले के नौजवानों ने मसजिद के निर्माण में अहम भागीदारी निभाया. मसजिद के साथ ही मदरसा इसलाहुल मुसलेमीन भी यहां चलता था.
मसजिद व मदरसे की जमीन जैनुल आबेदीन के पिता खबीरूद्दीन साहब ने वक्फ किया था. मदरसा में मजहबी तालीम दी जाती है. ईद के बाद इस मदरसे को नये सिरे से चालू करने की योजना है. जिसमें गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जायेगी. इसके लिए हर मुसलमान से सहयोग की अपील की गयी है.