घाटशिला. महाल और आदिवासी समुदाय की संयुक्त बैठक
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सरकार अादिवासी हित चाहती तो सरना कोड लागू होता : बैजू
घाटशिला. महाल और आदिवासी समुदाय की संयुक्त बैठक घाटशिला : टशिला स्थित माझी परगना महाल परिसर में मंगलवार को देश परगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में कोल्हान के माझी परगना महाल के सदस्य और आदिवासी समुदाय के लोगों की बैठक हुई. इसमें देश परगना ने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है. […]
घाटशिला : टशिला स्थित माझी परगना महाल परिसर में मंगलवार को देश परगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में कोल्हान के माझी परगना महाल के सदस्य और आदिवासी समुदाय के लोगों की बैठक हुई. इसमें देश परगना ने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है. भारत में करीब 12 करोड़ आदिवासी हैं. सरकार आदिवासी वर्ग के हित में काम करती, तो अबतक सरना कोड लागू हो जाता.
उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण केंद्र की ओर से छह नवंबर को मऊभंडार ताम्र प्रतिभा मंच मैदान में राष्ट्र शक्ति सम्मेलन करने के लिए बुकलेट छपाया गया है. बुकलेट में घोषणा पत्र जारी किया गया है. बुकलेट में कहा गया है कि आदिवासी और हिंदू एक हैं. इसका देश परगना ने खंडन किया.
उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय अपनी संस्कृति और सभ्यता को मानती है. आदिवासी सरना धर्म को लेकर चलते हैं. भूमि अधिग्रहण को लेकर 8 नवंबर को पूर्वी सिंहभूम के विभिन्न प्रखंडों में माझी परगना महाल धरना प्रदर्शन करेगा.
24 नवंबर को प्रमंडल स्तर पर धरना प्रदर्शन करेगा.
बैठक में रामचंद्र मुर्मू, देव कुमार धान, सुधीर सोरेन, बहादुर सोरेन, मंगल सिंह बोबोंगा, कुंअर चंद्र मांडी, हरिश चंद्र सिंह भूमिज, सुदर्शन भूमिज, बादल सरदार, हरि पदो मुर्मू, जुगल किशोर सिंह, लेदेम किस्कू, कृष्णा हेंब्रम, रमेश जे राम उपस्थित थे.
पूंजीपतियों के हित में काम कर रही सरकार : देवेंद्र
बैठक में बिहार विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ चांपिया ने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार बनी. पूंजीपतियों की कठपुतली बन कर रह गयी. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से किसे लाभ हुआ. यह किसी से छिपा नहीं है. इससे केवल पूंजीपतियों को लाभ हुआ. भाजपा सरकार ने जीएसटी लागू किया. इससे किसको लाभ हुआ. पूंजीपतियों को लाभ हुआ. भूमि अधिग्रहण बिल का संशोधन के लिए सरकार क्यों चिंतित है. क्योंकि भूमि बैंक तथा पूंजीपतियों को कैसे लाभ पहुंचाया जाये. झारखंड के किसान और दबे कुचले वर्ग से कोई लेना देना नहीं है. धर्म के नाम पर स्वार्थ की राजनीति की जा रही है. जनता भी इंतजार में है कि 2019 कब आयेगा कि सरकार को सबक सिखा सकें.
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