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हत्या के मामले में दो को आजीवन कारावास

दुमका : दुमका के द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार की अदालत ने हत्या से संबंधित पांच साल पुराने एक मामले में बुधवार को दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ 20-20 हजार रुपया जुर्माना अदा करने की सजा सुनायी है. जुर्माना नहीं देने पर एक साल की अतिरिक्त सजा होगी. […]

दुमका : दुमका के द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार की अदालत ने हत्या से संबंधित पांच साल पुराने एक मामले में बुधवार को दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ 20-20 हजार रुपया जुर्माना अदा करने की सजा सुनायी है. जुर्माना नहीं देने पर एक साल की अतिरिक्त सजा होगी.

जबकि एक अन्य आरोपित को संदेह को लाभ देते रिहा करने का फैसला सुनाया है. न्यायालय द्वारा सत्र वाद संख्या 101/013 सरकार बनाम दारा सिंह वगैरह में हत्या से संबंधित मामले के दो आरोपित नकुल सिंह और दारा सिंह को भादवि की धारा 302, 201 और 34 के तहत दोषी पाकर उक्त सजा सुनायी. वहीं विजय सिंह नामक एक अन्य आरोपित को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया.

न्यायालय के फैसले के अनुसार जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर आरोपियों को एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इस मामले में सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक अजय कुमार साह ने मुकदमे की पैरवी की और बहस में हिस्सा लिया. अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में 14 गवाह पेश किये गये.अपर लोक अभियोजक श्री साह से मिली जानकारी के अनुसार सरैयाहाट के तितमो गांव निवासी योगेंद्र सिंह के फर्द बयान पर सरैयाहाट थाना में भादवि की धारा 302,201 और 34 के तहत (कांड संख्या 125/012) 27 जून 2012 को नकुल सिंह, दारा सिंह और विजय सिंह के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

दर्ज प्राथमिकी में 26 जून 2012 की रात 9 बजे गांव के नंदू राउत के बेटे के बरात में शामिल होने सूचक का पिता जय नारायण सिंह बस से निकला था. उसी रात करीब 11 बजे हंसडीहा से नामजद आरोपियों ने जय नारायण सिंह को सरैयाहाट ले जाकर शराब पिलाकर उसकी हत्या कर दी और जमुआ बगीचा में फेंक दिया.

घटना के दूसरे दिन जय नारायण सिंह की लाश जमुआ बगीचा में बरामद की गयी थी. मृतक के परिजनों ने लाश की शिनाख्त करने के साथ घटना स्थल से मिले गमछे और चप्पल से आरोपियों की पहचान की थी. इस मामले में एक आरोपित नकुल सिंह जेल में था जबकि दारा सिंह जमानत पर था.

प्राथमिकी में गांव की फूलमनी मोसमात के दामाद विजय सिंह को भी एक आरोपित बनाया गया था, जिसके साथ घटना के पूर्व योगेंद्र के परिवार के साथ जमीन विवाद को लेकर विवाद हुआ था और आरोपित ने योगेंद्र के पिता को धमकी दी थी. न्यायालय ने हालांकि विजय सिंह को संदेह को लाभ देते हुए रिहा करने का फैसला सुनाया.

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