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एसपीटी एक्ट में संशोधन नहीं करेंगे बर्दाश्त : दिसोम बैसी
दुमका : एसपीटी एक्ट की धारा 13 में तथाकथित सरलीकरण के नाम पर बदलाव लाने का मुख्य मुद्दा रैयतों पर आर्थिक बोझ लादना है. इस बदलाव का रैयतों के विकास से कोई संबंध नहीं है. आदिवासी दिसोम बैसी के संयोजक सतीश सोरेन प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि संतालपरगना टेनेंसी एक्ट व छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट […]
दुमका : एसपीटी एक्ट की धारा 13 में तथाकथित सरलीकरण के नाम पर बदलाव लाने का मुख्य मुद्दा रैयतों पर आर्थिक बोझ लादना है. इस बदलाव का रैयतों के विकास से कोई संबंध नहीं है.
आदिवासी दिसोम बैसी के संयोजक सतीश सोरेन प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि संतालपरगना टेनेंसी एक्ट व छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट में कई बिंदुओं पर विशेष विभिन्नताएं है, जबकि यह विभिष्ट अधिनियम वीर सिदो, कान्हू, चांद, भैरो चारों भाई व उनकी बहनें साथ दस हजार से भी अधिक संतालों की शहादत पर बनाया गया है. उपरोक्त अध्यादेश में विकास का कहीं उल्लेख ही नहीं है. परंतु स्पष्ट रूप से सिर्फ और सिर्फ नन एग्रीकल्चर रेंट का बोझ लगाने का प्रावधान किया गया है. रैयतों पर आर्थिक बोझ लादना कोई विकास नहीं है.
आर्थिक बोझ से किसान को दबा कर कोई विकास एजेंडा किसी को भी स्वीकार नहीं होगा. अत्यधिक ग्लोबल तापमान के परिणामस्वरूप पर्याप्त वर्षा के अभाव में किसान की हालात सार्वधिक खराब है. सरकारी उपेक्षा नीति भी इसके लिए जिम्मेवार है. विकास का रास्ता तो सरकार नेकनीयत और ईमानदार प्रयास द्वारा ही निकाला जा सकता है. जो कहीं भी दिखाई नहीं देता है. सभी सरकारी विभागों में अनियमितताएं व्याप्त है. ऐसी स्थिति में एक्ट में किसी भी प्रकार का संशोधन हुआ तो आदिवासी दिसोम बैसी कभी बर्दाश्त नहीं करेंगी.
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