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संंस्कार बुजुर्गों से ही मिलती है

जानकारी गुगल दे सकता है लेकिन साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता निलोत्पल भी पहुंचे कार्यक्रम में दुमका : स्वतंत्रता सेनानियों की अंतिम कड़ी स्वर्गीय सईद अहमद की पुण्य तिथि के अवसर पर सूचना भवन में स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस और पीढ़ियों के अंतराल पर स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान और संघर्ष की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर […]

जानकारी गुगल दे सकता है लेकिन

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता निलोत्पल भी पहुंचे कार्यक्रम में
दुमका : स्वतंत्रता सेनानियों की अंतिम कड़ी स्वर्गीय सईद अहमद की पुण्य तिथि के अवसर पर सूचना भवन में स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस और पीढ़ियों के अंतराल पर स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान और संघर्ष की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई. इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सईद अहमद के परिजन बीबी नरगिस, स्वर्गीय लाल हेंब्रम की पत्नी मंगली टुडू, स्वर्गीय कपिलेश्वर झा की पत्नी सुनीती देवी,
स्वर्गीय दशरथ झा के पुत्र रामअनुग्रह झा, स्वर्गीय गोवर्धन दुबे के पुत्र ओम प्रकाश दुबे, स्वर्गीय रामटहल भंडारी के पौत्र माणिक चंद्र भंडारी, स्वर्गीय डाॅ भुवनेश्वर प्रसाद की पौत्री पल्लवी कुमारी एवं स्वर्गीय रामरतन सिंह के पुत्र केएन सिंह को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर एसडीओ जिशान कमर ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वे उस परिवार से संबंध रखते हैं, जिस परिवार ने स्वर्गीय सईद जैसे स्वतंत्रता सेनानी को जन्म दिया. उन्होंने कहा कि उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. वे न सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी थे,
बल्कि एक लोकप्रिय जनप्रतिनिधि और योग्य शिक्षक भी थे. अध्यक्षीय संबोधन में नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि हमें स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा स्थापित आदर्शों को आत्मसात कर देश और समाज के लिए कार्य करना होगा. उन्होंने नगर की सड़कों का नामकरण दुमका के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव नगर पर्षद की बोर्ड की बैठक में रखने और उसे पारित कराने का आश्वासन दिया.
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान और संघर्ष की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर परिचर्चा
युवा साहित्यकार के उदगार
साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले युवा नीलोत्पल मृणाल ने अपने संबोधन में कहा कि इतिहास केवल जमीन के अंदर ही दफन नहीं है, बल्कि लोकचर्चाओं में भी इतिहास व्यक्त होता है. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इंटरनेट के जरिये बहुत सारी जानकारी मिल सकती है. परंतु संस्कार हमें बुजुर्गों से ही मिल सकता है. युवा साहित्यकार अंजनी शरण ने कहा कि युवाओं को स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर अपना तथा राष्ट्र का बेहतर भविष्य बनाना चाहिए.
प्रबुद्ध जनों ने भी किया संबोधित
एसपी कॉलेज के प्राध्यापक डाॅ सुधांशु शेखर ने कहा कि इतिहास वर्तमान को पूर्ण बनाता है और इस अर्थ में यह सदैव प्रासंगिक है. स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस के आयोजन की यह पहल विश्वविद्यालय को भी बेहतर शोध करने तथा विद्यार्थियों को मार्गदर्शन करने में मददगार होगी. परिचरचा में उप निदेशक जनसंपर्क अजयनाथ झा, डॉ संजीव कुमार, बामा प्रसाद यादव, चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष मो शरीफ, लायंस क्लब के मनोज कुमार घोष, अमरेंद्र सुमन आदि ने भाग लिया.
पूर्व विधायक कमलाकान्त सिन्हा ने प्रशासन को इस बात के लिए बधाई दी कि 3 जुलाई को स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस मनाये जाने की पहल पूरे देश में अपने तरह का पहला प्रयास है. पूरे देश में 3 जुलाई स्वतंत्रता सेनानी सम्मान दिवस मनाया जाय इसके लिए पहल की जानी चाहिए. सीएन मिश्र ने नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच संवाद की निरंतरता को बनाये रखने पर जोर दिया उन्होंने कहा कि इतिहास से दूर होना अपनी पहचान को खोने के जैसा है. एहतेशाम अहमद ने स्वतंत्रता सेनानियों से सीख लेकर आपसी मजहबी भेदभाव भूलकर देश और समाज के बेहतरी के लिए मिलजुलकर प्रयास करने की बात कही.
मौके पर उमाशंकर चौबे, बी बी गुहा, गोविन्द प्रसाद, विजय कुमार सोनी, हैदर हुसैन, मदन कुमार, नवल किशोर झा, विद्यापति झा, निमायकांत झा, एहतेशामुल हक, अरविन्द साह, दीपक झा, सुमंगल ओझा, मो फहीम अहमद, मो मंजर हसनैन, मुकेश कुमार मिश्र, सुरेन्द्र नारायण यादव आदि मौजूद थे.

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