दुमका : सरुवा पंचायत के हिजला गांव में ग्रामीणों ने रघुवर सरकार द्वारा घोषित स्थानीयता नीति और सीएनटी-एसपीटी एक्ट में बदलाव को लेकर चल रहे प्रयासों को लेकर आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के तहत मोड़े मांझी की बैठक की गयी. जिसमें सरुवा पंचायत के ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों ने भाग लिया. कहा कि स्थानीयता नीति झारखंड के मूलवासियों और गरीबों के विरोध में है. यह नीति सिदो-कान्हू, चांद, भैरो, फूलो-झानो जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के विरोध में है.
जिन्होंने अपनी जान देकर देश के लिए अंगेजों के विरोध लड़ाई लड़ी थी. लेकिन रघुवर सरकार ने स्थानीय निवासी को जो परिभाषित किया है वह तर्कसंगत और न्याय संगत नहीं है. यह झारखंड के मूलवासी को ध्यान में रख कर नहीं बनाया गया है. इसके केंद्र बिंदु में सिर्फ और सिर्फ बाहरी लोगों को स्थानीय निवासी बनाने का लक्ष्य रखा गया है. मोड़े मांझी ने सरकार से सवाल किया कि जब झारखंड के मूल आदिवासी अंग्रेज जमाने में असम गये, तो आज तक उन्हें वहां आदिवासी का दर्जा नहीं दिया गया, तो कैसे झारखंड में 30 वर्ष और मैट्रिक पास करने पर बाहरी लोगों को स्थानीय घोषित किया जा सकता है. बैठक के बाद विरोध करते हुए लोगों ने सीएम और कल्याण मंत्री का पुतला फूंका.