दुमका : झारखंड राज्य स्थापना दिवस पखवारा के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय खादी महोत्सव के दूसरे दिन विभिन्न राज्यों से पहुंचे कलाकारों ने लोकगीत व संगीत से अद्भुत समां बांधा.
चैता, होरी और छठ के गीत में भी कला जत्थाओं ने अपने-अपने क्षेत्र के लोकनृत्य पेश कर भारतीय संस्कृति की विविधता को प्रदर्शित किया. छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने छतीसी लोकनृत्य पेश किया, तो झारखंड के कलाकारों ने छऊ नृत्य में महिषासुर का वध को प्रदर्शित किया.
कार्यक्रम के दौरान भारतीय संगीता कला विकास एवं सेवा संस्थान बिहार के कलाकारों ने रंग डाले संवरकी पतरकी.. हवा में खनके हरी हरी चूड़िया..कांच ही बांस के बहंगिया..बहंगी लचकत जाय.. और दर्शन दीहुं अपार हो छठि मईया.जैसे गीतों को पेश किया.
वहीं छतीसगढ़ की पूनम तिवारी एवं उनकी मंडली के कलाकारों ने जय बोलो, जय बोलो नारायण..आवेल वसंत फूले बगीया हो रामा.. सोना मन है, चांदी बदन.गोरी तोर. जैसे गीत-नृत्य पेश किया. इस दौरान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष जयनंदू, निदेशक सेवाराम, विकास पदाधिकारी डीके राय, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक रमेश प्रसाद गुप्ता आदि मौजूद थे.