दुमका : कोलकाता की संस्था इंस्टीटय़ूट फोर मोटिवेटिंग सेल्फ इंप्लॉयमेंट (इमसे) द्वारा बुधवार को आत्मा परियोजना सभागार में ‘एक्सप्लोरिंग मैथड ऑफ स्माल स्केल फार्मिग थ्रु सस्टेनेबल एग्रीक ल्चर’ विषयक सेमिनार आयोजित किया गया.
इस सेमिनार के मुख्य अतिथि चेयरमैन डॉ आरके पांडेय व को-ऑर्डिनेटर डॉ छाया गुहा ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की.
उन्होंने रासायनिक उर्वरकों तथा विषैले कीटनाशकों के इस्तेमाल से मिट्टी की क्षमता पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर चिंता जतायी और कहा कि यह स्थिति रही तो कुछ वर्षो में खेती लायक बड़ी जमीन बंजर हो जायेगी. उन्होंने जैविक खाद के इस्तेमाल से कृषि उत्पादन में मिलने वाले दीर्घकालिक लाभ की भी जानकारी दी. इमसे दिगलपहाड़ी के कान्हू मुमरू ने भी अत्यधिक रसायन के इस्तेमाल के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला.
कृषि वैज्ञानिक डॉ एके साहा ने संताल परगना के संदर्भ में इंटीग्रेटेड फार्मिग के बारे में चर्चा की. मृदा वैज्ञानिक डॉ पीबी साहा ने मिट्टी की गुणवत्ता पर, सामाजिक कार्यकर्ता सीपी सिंह ने मिश्रित खेती पर, डॉ सीएन मिश्र ने कृषि को व्यवसायिक रूप देने पर बल दिया. आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ दिवेश कुमार सिंह ने परंपरागत कृषि पद्धति पर प्रकाश डाला.
मौके पर डॉ बनानी सिन्हा, डॉ प्रदीप कुमार गोरायं, डॉ वाणी सेन गुप्ता, दयामय मांझी, सोमनाथ मुमरू, सुबीर दास गुप्ता, जयसेन मुमरू, साहेबराम हेंब्रम, चुड़का सोरेन, डब्ल्यू आइंद, शैलेंद्र सिन्हा, रणवीर सिंह, रामकृष्ण मंडल, निर्मल पांडा आदि मौजूद थे.