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लोहरदगा डीडीसी शशिधर मंडल की पुस्तक ”मंदार रहस्य” का हुआ लोकार्पण

दुमका : भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सह लोहरदगा के डीडीसी कवि शशिधर मंडल द्वारा रचित काव्य पुस्तक ‘मंदार रहस्य’ का लोकार्पण सोमवार को दुमका के सूचना भवन सभागार में किया गया. प्रयास फाउंडेशन फॉर टोटल डेवलपमेंट के बैनर तले आयोजित लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि रूप में इतिहासकार डॉ सुरेंद्र झा ने अपने वक्तव्य […]

दुमका : भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सह लोहरदगा के डीडीसी कवि शशिधर मंडल द्वारा रचित काव्य पुस्तक ‘मंदार रहस्य’ का लोकार्पण सोमवार को दुमका के सूचना भवन सभागार में किया गया. प्रयास फाउंडेशन फॉर टोटल डेवलपमेंट के बैनर तले आयोजित लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि रूप में इतिहासकार डॉ सुरेंद्र झा ने अपने वक्तव्य में श्री मंडल की लेखनी की प्रशंसा की.
साथ ही अंग क्षेत्र सहित पूरे पूर्वी भारत के इतिहास को विभिन्न विद्वानों ने तोड़-मरोड़ कर मिटाने का प्रयास किये जाने पर अपनी पीड़ा का इजहार भी किया. इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने वालों को उन्होंने असुर की संज्ञा दी. कहा कि यहां के साक्ष्यों को सामने लाना देवासुर संग्राम की तरह कठिन कार्य है. डॉ झा ने दावा किया कि अंग क्षेत्र के आदि राजा पृथु, वेन और मनु थे.
उन्होंने कहा कि प्रचीन सभ्यता से संबंधित यहां छिपे प्राचीनतम पुरातात्विक साक्ष्यों को हाल ही में पं अनूप कुमार वाजपेयी ने विश्व की प्राचीनतम सभ्यता नामक पुस्तक के माध्यम से सामने लाने का कार्य किया. वहीं दूसरी ओर लेखक शशिधर मंडल ने धर्म ग्रथों के आधार पर अंग क्षेत्र के इतिहास को मंदार रहस्य नामक काव्य पुस्तक के माध्यम से आज सामने लाने का कार्य किया. उन्होंने कहा कि आज मंदार के आस-पास उत्खनन के माध्यम से इस क्षेत्र के पुरातात्विक साक्ष्यों को मिटाने का कार्य किया जा रहा है.
वहां हो रहे उत्खनन को अविलंब बंद कराने की मांग उन्होंने बिहार व केंद्र सरकार से की. आरोप लगाया कि पिछले सौ वर्षों में ऐसी बहुत सी पुस्तकें लिखी गयी. जिन्होंने अंग क्षेत्र और यहां की पहाड़ी पर झूठ की चादरें चढ़ा दी. उन्होंने कहा कि सत्य हरिशचंद्र के समय में गंगा नदी नहीं थी, परंतु भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने सत्य हरिशचंद्र नाटक के माध्यम से उनके समय में गंगा छवि का वर्णन कर लोगों को गलत इतिहास की जानकारी दी. उस नाटक को पीढ़ी-दर-पीढ़ी विद्यार्थी पढ़ते आये.
श्रीमद्भागवत व वामन पुराण के आधार पर उन्होंने बताया कि गज और ग्राह के संग्राम की प्राचीन कथा त्रिकूट पर्वत की तराई की है. वह त्रिकूट पर्वत संताल परगना में है. बावजूद कई लेखकों ने उस संग्राम को दूसरी-तीसरी जगह दिखा दिया. उन्होंने कहा कि धर्मग्रंथों से निचोड़कर काव्यात्मक पुस्तक के माध्यम से शशिधर मंडल ने मंदार सहित अंग क्षेत्र की ढेर सारी प्रमाणिक बातों को रखा है. उनके द्वारा भविष्यवाणी की गयी कि मंदार रहस्य पुस्तक भविष्य में उसके लेखक को राष्ट्रीय सम्मान अवश्य दिलायेगी.
समारोह में जिला आपूर्ति पदाधिकारी सह कवि शिवनारायण यादव ने मंदार रहस्य के लेखक के सम्मान में कविता पाठ करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि प्राचीन 16 जद पदों में अंग का स्थान पहले पायदान पर है. प्राचीनकाल से ही लोक गीतों, लोक कहावतों और लोक कहानियों में यह उल्लेख है कि सभ्यता का उदय पूर्वी क्षेत्र में हुआ. अब समय आ गया है कि संसार के लोगों की दृष्टि इस ओर जाये. अनुमंडल पदाधिकारी राकेश कुमार ने कहा कि प्रशासनिक पद पर रहते हुए भी शशिधर मंडल ने जो सृजनात्मक कार्य किया है वह प्रेरणादायक है.
सबों ने इस बात पर जोर दिया कि मंदार पर्वत के आस-पास हो रहे उत्खनन के कारण पुरावशेषों को बचाने के लिये हांक लगायी जायेगी. इस पर मधुर कुमार सिंह ने कहा कि उनकी संस्था की से बिहार और केंद्र सरकार को लिखा जायेगा. समारोह को तसर विभाग के सहायक परियोजना निदेशक सुधीर कुमार, सेवानिवृत्त अधिकारी अरूण कुमार सिन्हा, बीएन सिंह, अमरेन्द्र सुमन, पं चन्द्रशेखर मिश्र आदि ने भी संबोधित किया. मौके पर पणन सचिव राजीव रंजन, प्रो अनहद लाल, गोपाल प्रसाद साह, प्रदीप कुमार मंडल, प्रेम कुमार वाजपेयी, प्रियदर्शी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. मंच संचालन अशोक कुमार सिंह ने किया.

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