एसपीटी एक्ट की धारा 20 को कमजोर करने की साजिश का लगाया आरोप
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परंपरागत हथियारों के साथ किया प्रदर्शन
एसपीटी एक्ट की धारा 20 को कमजोर करने की साजिश का लगाया आरोप कहा, उपसमिति को फेरबदल का हक नहीं सीएम के खिलाफ की नारेबाजी दुमका : जनजातीय परामर्शदातृ समिति के उपसमिति की अनुशंसा पर आक्रोश जताते हुए जय आदिवासी युवा शक्ति के बैनर तले दुमका में जुटे आदिवासी युवक-युवतियों ने अपने परंपरागत औजारों के […]
कहा, उपसमिति को फेरबदल का हक नहीं
सीएम के खिलाफ की नारेबाजी
दुमका : जनजातीय परामर्शदातृ समिति के उपसमिति की अनुशंसा पर आक्रोश जताते हुए जय आदिवासी युवा शक्ति के बैनर तले दुमका में जुटे आदिवासी युवक-युवतियों ने अपने परंपरागत औजारों के साथ विरोध प्रदर्शन किया. समाहरणालय के समक्ष टीएससी के अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जम कर नारे लगाये. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि एसपीटी एक्ट की धारा 20 को असंवैधानिक ढंग से टीएसी की उपसमिति बनाकर कमजोर करने का षड़यंत्र किया जा रहा है. भारतीय संविधान के पांचवीं अनुसूची के अनुच्छेद 244(1) के भाग ख 4(1) के अनुसार टीएसी के सभी सदस्य आदिवासी ही होंगे. पर गैर आदिवासी होकर भी मुख्यमंत्री असंवैधानिक ढंग से टीएसी के सदस्य बने हुए हैं. ऐसे में उपसमिति का गठन भी गैर संवैधानिक ही है. इस उपसमिति द्वारा एसपीटी एक्ट में किसी तरह का फेरबदल करने का भी हक नहीं है.
राज्यपाल को भेजे गये ज्ञापन में भी प्रदर्शनकारियों ने दलील दी है कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट में केवल जमाबंदी रैयतों के अधिकारों को ही सुरक्षित रखा गया है.
इसमें आदिवासी व गैर आदिवासी के जमीन को अलग-अलग परिभाषित नहीं किया गया है. ऐसे में जमाबंदी रैयतों के जमीन को गैर आदिवासी जमीन के रूप में परिभाषित कर उसे आपस में क्रय-विक्रय के लिए नियम बनाने की साजिश नहीं होना चाहिए. प्रदर्शन में दुमका प्रभारी विशाल मरांडी, जामताड़ा के प्रभारी श्यामलाल मरांडी, महासचिव विनीलाल टुडू, विनय बास्की, मोहन सोरेन आदि शामिल थे.
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