दुमका : उपराजधानी दुमका के सरकारी ही नहीं प्राइवेट क्लिनिक चलाने वाले डाॅक्टर भी सरकारी दिशा-निर्देशों की परवाह नहीं कर रहे है. अपने प्रिसक्रिप्शन में दवाइयों के नाम स्पष्ट व कैपिटल लेटर में नहीं लिख रहे हैं. जबकि उन्हें ऐसा दिशा-निर्देश दो साल पहले पांच अक्तूबर 2015 को मिला था. वहीं डेढ़ साल पहले 10 मार्च 2016 को उक्त निदेश का अनुपालन न किये जाने पर दुबारा स्मारित किया गया था. प्रभात खबर ने दुमका के सदर अस्पताल की पड़ताल किया, तो पाया कि यहां के चिकित्सक न तो कैपिटल लेटर में दवाओं की पर्ची में मात्रा के साथ दवा का नाम लिख रहे हैं ओर न ही दवाइयों के जेनरिक नाम ही लिखे जा रहे हैं. दवाइयों के नाम पर्ची में स्पष्ट अक्षरों में कैपिटल लेटर में नहीं लिखे जाने से गलत दवा या गलत मात्रा के सेवन से मरीजों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव का भी खतरा बना रहता है.
सस्ती है जेनरिक दवाइयां, पर लिखते नहीं
दुमका में जेनरिक दवाइयों के लिए प्रधानमंत्री जन औषधालय केंद्र खोले गये हैं. जेल रोड में तथा दुर्गास्थान रोड में ये जन औषाधालय संचालित हैं. प्रधानमंत्री जन औषधालय में जेनरिक दवाइयां विभिन्न कंपनियों की दवाइयों की तुलना में लगभग अधी से एक चौथाई कीमत में उपलब्ध है. ऐसे में अगर सदर अस्पताल में जो दवा सरकारी स्तर पर उपलब्ध नहीं होती तो वहां के डाॅक्टर या प्राइवेट क्लिनिक चलाने वाले डाॅक्टर जेनरिक दवा लिखें, तो बहुत हद तक आर्थिक बोझ मरीज के परिजनों पर कम किया जा सकता है.
डीएस ने माना, नहीं हो रहा आदेश का पालन
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ दिलीप केशरी से ने स्वीकार किया कि उक्त आदेश का पालन नहीं हो रहा है और अधिकांश डॉक्टर अब भी पहले की तरह ही दवा लिख रहे हैं. इससे संबंधित दिशा-निर्देश से सबों को अवगत कराया गया है. कहा कि अस्पताल के डाॅक्टरों को अस्पताल में उपलब्ध सरकारी दवाइयों का नाम लिखना है. जो दवा उपलब्ध नहीं है, उसके जेनरिक नाम लिखे जाने हैं. मरीजों को स्वच्छता से संबंधित जागरूकता व शौचालय के उपयोग को लेकर प्रेरित करने को भी कहा गया है.