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Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष आज से शुरू, जानें यहां पितर तर्पण के नियम और मंत्र

पंडित गुणानंद झा ने बताया कि लोटे में तिल, जौ, कुश, सफेद फूल व जल के साथ गंगाजल डालकर पितरों का तर्पण दक्षिणाभिमुख होकर करना चाहिए. पितरों के नाम से उनका आह्वान करते हुए तर्पण करें. देवताओं का तर्पण पूर्वाभिमुख होकर करना चाहिए.

पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष शुरू हो जाता है और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है. पितृपक्ष की अवधि में पिंडदान, तर्पण, श्राद्धकर्म आदि का विधान है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज अपने परिवार के सदस्यों से मिलने धरती पर आते हैं. इस बार पितृपक्ष 15 दिनों का है. पंडित गुणानंद झा ने बताया कि 29 सितंबर को अगस्त तर्पण है. अगस्त मुनि के तर्पण के बाद पितर तर्पण किया जाता है. पितर तर्पण 30 सितंबर से शुरू हो रहा है. इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा. 15 अक्टूबर से मातृ पक्ष का आगमन होगा.

दक्षिणाभिमुख होकर करें पितरों का तर्पण

पंडित गुणानंद झा ने बताया कि लोटे में तिल, जौ, कुश, सफेद फूल व जल के साथ गंगाजल डालकर पितरों का तर्पण दक्षिणाभिमुख होकर करना चाहिए. पितरों के नाम से उनका आह्वान करते हुए तर्पण करें. देवताओं का तर्पण पूर्वाभिमुख होकर करना चाहिए. ऋृषियों का तर्पण उत्तराभिमुख होकर करना चाहिए. तर्पण हमेशा उल्टे हाथ से करना चाहिए. शास्त्रों में बताया गया है कि पितृ पक्ष में तर्पण करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त मिलती है और उनका आशीर्वाद सदैव बना रहता है. 14 को अमावस्या श्राद्ध पंचांग के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या इस वर्ष 14 अक्टूबर को है. इस दिन पर जो लोग अपने पितरों के निधन की तिथि नहीं जानते हैं, वह इस दिन श्राद्ध कर्म, पिंडदान व तर्पण आदि कर सकते हैं. सर्व पितृ अमावस्या के दिन स्नान-दान को भी विशेष महत्व दिया गया है.

किस तारीख को कौन सी तिथि का श्राद्ध

  • 30 सितंबर : इस दिन लोग प्रतिपदा का श्राद्ध कर सकेंगे.

  • 01 अक्तूबर : दोपहर 12:10 बजे तक द्वितीया का श्राद्ध. इसके बाद तृतीया का श्राद्ध होगा.

  • 02 अक्टूबर : सुबह 10:42 दिन तक तृतीया का श्राद्ध. इसके बाद चतुर्थी का श्राद्ध होगा.

  • 03 अक्टूबर : सुबह 9:39 बजे तक चतुर्थी का श्राद्ध. इसके बाद पंचमी का श्राद्ध होगा.

  • 04 अक्टूबर : सुबह 9:04 बजे तक पंचमी का श्राद्ध. इसके बाद षष्ठी का श्राद्ध होगा.

  • 05 अक्टूबर : सुबह 8:58 तक षष्ठी का श्राद्ध होगा. इसके बाद सप्तमी का श्राद्ध होगा.

  • 06 अक्टूबर : सुबह 9:25 बजे तक सप्तमी का श्राद्ध. इसके बाद अष्टमी का श्राद्ध होगा.

  • 07 अक्टूबर : सुबह 10:21 बजे तक अष्टमी का श्राद्ध. इसके बाद नवमी का श्राद्ध होगा.

  • 08 अक्टूबर : दिन के 11:46 बजे तक नवमी का श्राद्ध. इसके बाद दशमी का श्राद्ध होगा.

  • 09 अक्टूबर : दोपहर 1:32 बजे तक दशमी का श्राद्ध. इसके बाद एकादशी का श्राद्ध होगा.

  • 10 अक्टूबर : दोपहर 3:34 बजे तक एकादशी का श्राद्ध.

  • 11 अक्टूबर : शाम 5.41 बजे तक द्वादशी तिथि का श्राद्ध.

  • 12 अक्टूबर: त्रयोदशी का श्राद्ध.

  • 13 अक्टूबर : चतुर्दशी का श्राद्ध.

  • 14 अक्टूबर : सुबह से लेकर रात 10:54 बजे तक अमावस्या तिथि का श्राद्ध कर सकते हैं.

पितर तर्पण के मंत्र

पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:

पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:

प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:

सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:

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