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‘माइनिंग सेक्टर में डीएम, एसडीएम की भूमिका अहम’
धनबाद : कोयला खनन में कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है प्रशासनिक अधिकारियों को. जमीन अधिग्रहण, जमीन पर कब्जा दिलाने, श्रमिकों की समस्या, रंगदारों से निबटने से ले कर कई मुद्दों पर डीएम, एसडीएम को जूझना पड़ता है. यह मानना है धनबाद के उपायुक्त आंजने युलू दोड्डे का. 20 अप्रैल को मसूरी में आइएएस […]
धनबाद : कोयला खनन में कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है प्रशासनिक अधिकारियों को. जमीन अधिग्रहण, जमीन पर कब्जा दिलाने, श्रमिकों की समस्या, रंगदारों से निबटने से ले कर कई मुद्दों पर डीएम, एसडीएम को जूझना पड़ता है.
यह मानना है धनबाद के उपायुक्त आंजने युलू दोड्डे का. 20 अप्रैल को मसूरी में आइएएस ट्रेनिंग अकादमी में माइनिंग में डीएम एंड एसडीएम की भूमिका पर क्लास के दौरान डीसी ने उक्त बातें कहीं. 2016 बैच के प्रशिक्षु आइएएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि खनन कार्य शुरू कराने से पहले, खनन के दौरान तथा खनन के बाद भी डीएम, एसडीएम की महत्वपूर्ण भूमिका है. कहा कि डीएम, एसडीएम को कई तरह की समस्याएं सुलझानी पड़ती है. जिस स्थान पर खनन होता है वहां सड़क, बिजली, जलापूर्ति की व्यवस्था कराने में भी प्रशासनिक अधिकारियों को अहम भूमिका निभानी पड़ती है. कहा कि अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी भी डीएम की होती है. साथ ही सरकार को नियमित व पूरा राजस्व व कर मिले, यह भी प्रशासनिक अधिकारियों को सुनिश्चित करना पड़ता है.
धनबाद डीसी ने कहा कि माइनिंग के दौरान विधि-व्यवस्था बनाये रखना अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती है. शांतिपूर्ण खनन कराना भी अधिकारियों की जिम्मेदारी है. इस दौरान उन्होंने धनबाद में वर्ष 1975 की चासनाला खान दुर्घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 375 खनिकों ने जल समाधि हो गयी थी. धनबाद के तत्कालीन डीसी केबी सक्सेना ने राहत एवं बचाव कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. साथ ही विधि-व्यवस्था भी बनाये रखा था. विदेशों से मोटर पंप मंगवाना पड़ा था. अकादमी की ओर से डीसी धनबाद के प्रजेंटेशन एवं क्लास की सराहना की गयी है. उन्हें 80 प्रतिशत अंक मिले.
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