बरमसिया निवासी टेंपो चालक पिता रामचंद्र प्रसाद कहते हैं कि बाहर ले जाकर ऑपरेशन कराने के पैसे नहीं है. चार भाई-बहन में कशिश सबसे छोटी है. जब वह छह माह की थी, तब इस बीमारी का पता चला था. फिलहाल बच्ची को खून (ओ पॉजिटिव) रक्तदान महादान ग्रुप के सामाजिक कार्यकता अंकित राजगढ़िया उपलब्ध करा रहे हैं.
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मौत से जूझ रही थैलिसिमिया पीड़ित मासूम
धनबाद : थैलीसिमिया से पीड़ित सात वर्षीय कशिश पीएमसीएच में मौत से जूझ रही है. पहले हर माह उसे खून चढ़ता था, अब हर 12 दिन पर खून चढ़ाना पड़ रहा है. पिछले कुछ दिनों से उसका पेट पत्थर जैसा हो गया है, कई रातों से वह ठीक से सोयी भी नहीं है. डॉक्टरों से […]
धनबाद : थैलीसिमिया से पीड़ित सात वर्षीय कशिश पीएमसीएच में मौत से जूझ रही है. पहले हर माह उसे खून चढ़ता था, अब हर 12 दिन पर खून चढ़ाना पड़ रहा है. पिछले कुछ दिनों से उसका पेट पत्थर जैसा हो गया है, कई रातों से वह ठीक से सोयी भी नहीं है. डॉक्टरों से तुरंत ऑपरेशन करने की सलाह दी है, लेकिन यह ऑपरेशन राज्य में संभव नहीं है, इसके लिए बाहर जाना पड़ेगा. परिजनों के पास अब फूटी कैड़ी भी नहीं है कि अपने कलेजे के टुकड़े को बचाया जाये. बच्ची की हालत देखकर परिजन मदद की गुहार लगा रहे हैं.
अस्पताल में भी अव्यवस्था, न लैब व न बेड का लाभ
पीएमसीएच में लगभग 25 लाख की लागत से थैलिसिमिया व सिकल सेल एनिमिया के इलाज के लिए दो दिसंबर 2015 को जेनेटिक वार्ड खोला गया था. लेकिन इसका भी लाभ मरीजों को ठीक से नहीं मिल रहा है. विशेष बेड की जगह मरीजों को सामान्य बेड पर ही रखा जा रहा है. वहीं उद्घाटन के समय से ही जेनेटिक वार्ड का लैब बंद है. इस कारण यहां सिकल सेल एनिमिया व थैलिसिमिया के मरीजों की जांच भी बाहर से करानी पड़ रही है. इधर, वार्ड के डॉ एबी शरण कहते हैं जल्द लैब को खोला जायेगा. संबंधित एजेंसी को कहा गया है.
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