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संक्रमित ब्लड से थैलिसिमिया की दो लड़कियां बनीं एचआइवी मरीज

धनबाद : एक तो थैलिसिमिया अब ऊपर से एचआइवी. बोकारो की दो लड़कियां जिंदगी की जंग लड़ रही है. फिलहाल इन लड़कियों का इलाज पीएमसीएच के एआरटी सेंटर में चल रहा है. इनका पता तब चला, जब ये पीएमसीएच के एआरटी (एंटी रिट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर में जांच के लिए आये. गलत ब्लड चढ़ाने से एक […]

धनबाद : एक तो थैलिसिमिया अब ऊपर से एचआइवी. बोकारो की दो लड़कियां जिंदगी की जंग लड़ रही है. फिलहाल इन लड़कियों का इलाज पीएमसीएच के एआरटी सेंटर में चल रहा है. इनका पता तब चला, जब ये पीएमसीएच के एआरटी (एंटी रिट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर में जांच के लिए आये. गलत ब्लड चढ़ाने से एक 13 वर्ष व दूसरी 22 वर्ष की लड़की एचआइवी की मरीज हो गयी. पीएमसीएच के एआरटी सेंटर में दोनों लड़कियों की दवा शुरू की गयी है. वहीं धनबाद के पांच लोग संक्रमित सूई की वजह से एचअाइवी के मरीज हो गये हैं. इनका भी सेंटर से इलाज चल रहा है. एचआइवी के प्रति जागरूकता नहीं होने के कारण कई लोग इसकी चपेट में आते हैं. अब एआरटी सेंटर भी लोगों को जागरूक कर रहा है.
एक ने आसनसोल व दूसरे ने कोलकाता से लिया था ब्लड : पीड़ितों ने डॉक्टरों को बताया कि थैलिसिमिया होने के कारण हर माह रक्त की जरूरत पड़ती थी. 13 वर्षीय लड़की के परिजनों ने आसनसोल व 22 वर्षीय लड़की के परिजनों ने कोलकाता में ब्लड चढ़ाया था. डॉक्टरों की मानें तो ब्लड की प्रोपर चेकिंग नहीं होने से ऐसा हुआ है.
11 माह में मिले 280 मरीज: पीएमसीएच के एआरटी सेंटर की मानें तो वर्ष 2016 में (11 माह) में 280 नये मरीज मिले हैं. इनका प्रोपर इलाज सेंटर से शुरू किया गया है. फिलहाल सेंटर से 1759 एचआइवी मरीज निबंधित हैं. इसमें धनबाद, गिरिडीह, बोकारो सहित दूसरे जिलों के भी मरीज हैं.
दूषित सूई व ब्लड से भी एचआइवी मरीज बढ़ रहे हैं. इसके लिए जागरूकता बेहद जरूरी है. एचआइवी के साथ भी लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं. एआरटी सेंटर में काउंसेलिंग के साथ जांच व दवा भी दी जाती हैं.
डॉ आरके पांडेय, अधीक्षक, धनबाद.

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