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डॉक्टर आते नहीं दवा मिलती नहीं

धनबाद: पांडरपाला निवासी निशा खातून गुरुवार की दोपहर 12 बजे कोर्ट मोड़ स्थित सदर ओपीडी पहुंची. निशा को किसी महिला चिकित्सक से जांच करवानी थी, लेकिन वहां न महिला चिकित्सक दिखी, न पुरुष. डय़ूटी में तीन चिकित्सकों की जगह एक मात्र दंत चिकित्सक डॉ आरके प्रसाद दिखे. मायूस हो कर निशा वापस चली गयी. यह […]

धनबाद: पांडरपाला निवासी निशा खातून गुरुवार की दोपहर 12 बजे कोर्ट मोड़ स्थित सदर ओपीडी पहुंची. निशा को किसी महिला चिकित्सक से जांच करवानी थी, लेकिन वहां न महिला चिकित्सक दिखी, न पुरुष. डय़ूटी में तीन चिकित्सकों की जगह एक मात्र दंत चिकित्सक डॉ आरके प्रसाद दिखे.

मायूस हो कर निशा वापस चली गयी. यह हाल टुंडी या तोपचांची के किसी ग्रामीण या उग्रवाद प्रभावित स्वास्थ्य केंद्र का नहीं, बल्कि शहर की ह्दय स्थली कोर्ट मोड़ की है. सदर ओपीडी में नाम मात्र का चल रहा है. ओपीडी में रोस्टर वाइज चिकित्सक अपनी डय़ूटी पर नहीं आते हैं और न ही कई महत्वपूर्ण दवाएं मिलती हैं. इस कारण यहां आने वाले मरीजों की संख्या एकाएक काफी कम हो गयी है. इधर, सीएस डॉ एके सिन्हा व एसीएमओ डॉ चंद्रांबिका श्रीवास्तव छुट्टी पर हैं. प्रभार में आरसीएच पदाधिकारी डॉ बीके गोस्वामी हैं.

दंत चिकित्सक ही मिले डय़ूटी पर
ओपीडी सेवा के लिए दंत चिकित्सक डॉ आरके प्रसाद को विभाग ने नियमित यहां सेवा दी है. गुरुवार को डॉ प्रसाद अपनी डय़ूटी पर थे, लेकिन बाकी दो अन्य महिला व पुरुष चिकित्सक नहीं मिले. कभी-कभी दूसरे चिकित्सक आते भी हैं, तो दवा की कमी या मरीज नहीं आने की बात कह कर आधे घंटे में चले जाते हैं. कुछ चिकित्सक तो इधर झांकने तक नहीं आते हैं.

5 जुलाई को हुआ था शिफ्ट
पांच जुलाई 2013 को कोर्ट मोड़ से पीएमसीएच के ऑर्थो व सजर्री वार्ड को सरायढेला में शिफ्ट कर दिया गया. इसी माह स्वास्थ्य मंत्री ने सीएस से पीएमसीएच द्वारा खाली किये गये इमरजेंसी भवन में सदर ओपीडी खोलने का निर्देश दिया. मंत्री के आदेश पर आनन-फानन में सदर ओपीडी का उद्घाटन किया गया था. चिकित्सकों की रोस्टर तैयार की गयी. मरीजों के लिए सुबह नौ से तीन बजे तक सेवा देने की घोषणा की गयी, लेकिन तीन-चार माह के बाद विभाग अपनी असलियत पर आ गया.

कम गयी मरीजों की संख्या
सदर ओपीडी खुलने के बाद पहले तो समय पर कुछ माह तक चिकित्सक आये, उसके बाद मनमानी चलने लगी. पहले पर्याप्त मात्र में दवा थी, लेकिन धीरे-धीरे यह भी खत्म होने लगी. आलम यह है अब एंटी रैबीज वैक्सिन भी यहां नहीं है. इस कारण पहले हर दिन औसतन 60 मरीज पहुंचते थे, अब इसकी संख्या घट कर 18-20 ही रह गयी है.

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