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सालाना चार करोड़ जाता है पानी में!

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग. हाल जलापूर्ति योजना का, जरा सी खराबी ठीक करने में लगते हैं चार से पांच दिन अशोक वर्मा धनबाद : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की जलापूर्ति योजना के मेंटेनेंस पर सालाना चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इसके अनुसार नागरिकों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. स्थिति यह है कि […]

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग. हाल जलापूर्ति योजना का, जरा सी खराबी ठीक करने में लगते हैं चार से पांच दिन
अशोक वर्मा
धनबाद : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की जलापूर्ति योजना के मेंटेनेंस पर सालाना चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इसके अनुसार नागरिकों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. स्थिति यह है कि जरा सी खराबी आने पर उसे ठीक करने में चार से पांच दिनों का समय लग जाता है.
वीए-टैक कंपनी काे मेंटेनेंस का जिम्मा : मेंटनेंस काम वीए-टैक कंपनी को दिया गया है. इसके लिए कंपनी हर वर्ष चार करोड़ रुपये लेती है. मैथन से पानी लाने से लेकर वाटर फिल्टर करके जलमीनार तक पहुंचाने की जिम्मेवारी कंपनी की है.
पानी अाने का कोई समय नहीं, अक्सर रहता है गंदा : प्रभात खबर की टीम ने शुक्रवार को शहर के 10 मुहल्ले के लोगों ने बातचीत की. अधिकांश लोगों की शिकायत थी की पानी चलने का कोई समय नहीं है. साथ ही पानी अक्सर गंदा ही आता है. कभी-कभी ही साफ पानी की सप्लाई होती है. प्रेशर भी कम रहता है.
फिटकिरी की कमी, नहीं होती टंकी की सफाई : विभागीय सूत्रों के अनुसार फिल्टर प्लांट में फिटकिरी की कमी रहती है. साथ ही पानी साफ करने के लिए केमिकल जिस मात्रा में मिलाना चाहिए, वह नहीं मिलाया जाती है. पानी टंकी की भी सफाई साल में एक बार होनी चाहिए, जो नहीं हो पाती.
अक्सर होती है पाइप लीकेज : कहीं पाइप क्षतिग्रस्त होती है तो समय पर उसे बनाने की व्यवस्था नहीं होती. आइएसएम के निकट इस साल चार से पांच बार पाइप लीकेज हुई. इसके कारण पुलिस लाइन से लेकर कई जलमनीरों में दो से तीन दिनों तक आपूर्ति नहीं हो पायी थी. मैथन में भी तीन बार पाइप क्षतिग्रस्त हुई.
चार साल से यही है व्यवस्था : विभागीय सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2007 से लेकर 2011 तक जब नार्गाजुन कंपनी खुद मेंटेनेंस कर रही थी, तब तक व्यवस्स्था ठीक-ठाक थी. जैसे ही वीए-टैक कंपनी को जिम्मा मिला, स्थिति खराब होती गयी. इसका टेंडर भी जुलाई, 2015 को ही खत्म हो गया है, बावजूद कंपनी काम कर रही है.
चार ट्रांसफॉर्मर में दो ही ठीक : मैथन में दो पावर ट्रांसफॉर्मर है, जबकि दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में. इनमें से दोनों जगह एक-एक ही ट्रांसफॉर्मर ठीक है. ऐसे में एक ट्रांसफॉर्मर जलने पर ऋाहिमाम की स्स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इस साल जनवरी में भी ऐसी स्थिति आ गयी थी, तब दूसरी कंपनी एलएनटी से मांगकर ट्रांसफॉर्मर लगाया गया. एक ट्रांसफॉर्मर दुर्गापुर बनने गया तो आज तक वापस ही नहीं आया.
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सहायक अभियंता दया शंकर प्रसाद ने बताया : मेंटेनेंस पर चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं. अभी जो कंपनी काम कर रही है, उसकी टेंडर की अवधि खत्म हो चुकी है, लेकिन जब तक नया टेंडर नहीं हो जाता उसी से काम कराया जा रहा है. जल्द ही टेंडर होगा. जहां तक सामग्री की बात है तो वह डब्लूटीओ में है.

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