धनबाद: दुनिया में कोई भी चीज मुफ्त नहीं होती है. बीमा कंपनियों से सहयोग नहीं मिलने के कारण आज भी 19 सौ मामले लंबित हैं. बीमा कंपनियों को पुराना रवैया बदलना चाहिए. ये बातें प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने कही. वह शनिवार को धनबाद कोर्ट परिसर में मेगा सह राष्ट्रीय लोक अदालत में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि 23 नवंबर को पूरे देश में लोक अदालत लगायी गयी है. इससे समय व पैसे की बचत की जा रही है. आज लोक अदालत अनिवार्य है. यदि हम लोक अदालत के माध्यम से मामलों का निष्पादन नहीं करते हैं तो इसमें हमारा नुकसान है. कम कीमत पर समझौता करने में बीमा कंपनियां आगे नहीं आ रही हैं. उन्हें राष्ट्रीय धारा में चल कर आगे बढ़ना चाहिए. लेबर जज आरके जुमनानी ने कहा कि हर गांव का आदमी लोक अदालत से परिचित है. वह मुकदमा लड़ने में अपने जिंदगी को बरबाद न करे. पुराने मामलों में समझौता कराना आवश्यक है. बार अध्यक्ष कंसारी मंडल ने कहा कि भारत के लिए 23 नवंबर का दिन ऐतिहासिक रहेगा. लोक अदालत के माध्यम से बैंक, उत्पाद, वन व बीमा आदि से जुड़े हजारों मामलों का निष्पादन होगा.
समारोह का शुभारंभ डालसा के अध्यक्ष व पीएसजे सत्येंद्र कुमार सिंह, डीसी प्रशांत कुमार, लेबर जज आरके जुमनानी, कुटुंब न्यायाधीश आरएस शुक्ला, बार अध्यक्ष कंसारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर डालसा सचिव सुभाष व निबंधक संजय कुमार भी मौजूद थे. संचालन रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी आरके पाठक ने किया. मौके पर अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम उमाशंकर प्रसाद सिंह, तृतीय अशोक कुमार पाठक, सीजेएम एसके पांडेय, एडीजे पंचम पीके उपाध्याय, एसीजेएम डीके पाठक, एसडीजेएम आनंद प्रकाश, जेएम कुलदीप, बीके लाल, योगेश कुमार, दयाराम, अभिषेक प्रसाद, अभिषेक कुमार, ऋचा श्रीवास्तव, एएसजे दिवाकर पांडेय, कोर्ट कर्मी राजीव रंजन, हरेंद्र कुमार, अशोक कुमार शुक्ला, संतोष कुमार पांडेय, बार की ओर से महासचिव देवी शरण सिन्हा, भागीरथ राय, केडी शर्मा, अमित कुमार सिंह, सहदेव महतो, संजीव सोमानी, सुबोध कुमार, पीयूष तिवारी, ललन गुप्ता, ब्रज किशोर, शहनाज बिलकिस, पिंकी कुमारी, एमएन रवानी, साकेत सहाय, पीके भट्टाचार्या आदि थे.