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बेलगड़िया टाउनशिप में बंगला ईंट का इस्तेमाल

धनबाद: बेलगड़िया टाउनशिप में बंगला ईंट का इस्तेमाल हो रहा है. दिखावे के लिए कुछ चिमनी ईंट (लाल ईंट) सामने रखी जाती है, लेकिन प्रोजेक्ट में बंगला ईंट का इस्तेमाल किया जाता है. जेआरडीए के मुख्य प्रबंधक सुनील दलेला ने लाल ईंट की गुणवक्ता पर सवाल उठाया है. धनबाद ब्रिक्स फिल्ड आनर्स एसोसिएशन इसका जोरदार […]

धनबाद: बेलगड़िया टाउनशिप में बंगला ईंट का इस्तेमाल हो रहा है. दिखावे के लिए कुछ चिमनी ईंट (लाल ईंट) सामने रखी जाती है, लेकिन प्रोजेक्ट में बंगला ईंट का इस्तेमाल किया जाता है. जेआरडीए के मुख्य प्रबंधक सुनील दलेला ने लाल ईंट की गुणवक्ता पर सवाल उठाया है. धनबाद ब्रिक्स फिल्ड आनर्स एसोसिएशन इसका जोरदार विरोध करता है.

मामले को लेकर उपायुक्त, आयुक्त व मुख्यमंत्री से मिलेंगे. रविवार को एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अनंत नाथ सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट में जेआरडीए कौन सा ब्रिक्स इस्तेमाल करता है, इससे एसोसिएशन को कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन लाल ईंट की गुणवत्ता पर सवाल उठाना कहीं से भी न्याय संगत नहीं है. मौके पर धनबाद ब्रिक्स फिल्ड ऑनर्स एसोसिएशन अध्यक्ष धरनीधर मंडल, महासचिव नरेश कुमार भगवानी, उपाध्यक्ष शंभु त्रिपाठी आदि उपस्थित थे.

फ्लाई ऐश से अच्छी है चिमनी ईंट : बेलगड़िया फेज-3 में फ्लाई ऐश ईंट का इस्तेमाल करने की बात आ रही है. लेकिन गुणवत्ता में लाल ईंट का जबाव नहीं है. एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि पूरे झारखंड में नॉर्म्स से फ्लाई ऐश ईंट का निर्माण नहीं होता है. फ्लाई ऐश में लिगनाइट, मरकरी, कॉपर, आयरन आदि मैटेरियल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. जापान सरकार फ्लाई ऐश ईंट पर बैन लगा चुकी है. जबकि नॉर्म्स के अनुसार लाल ईंट को 1100-1300 डिग्री सेंटीग्रेड से तैयार किया जाता है. चिमनी ईंट से सरकार को राजस्व मिलता है. आदि काल से लाल ईंट का इस्तेमाल होता आ रहा है.

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