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शशि मरांडी हत्याकांड में दो को उम्रकैद

धनबाद : तोपचांची थाना क्षेत्र के आमटांड़ निवासी शशि मरांडी हत्याकांड में गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम अरुण कुमार राय की अदालत ने जेल में बंद आरोपी रामचंद्र कुम्हार व महादेव कुम्हार को हत्या, अनुसूचित जाति उत्पीड़न व अवैध हथियार रखने के मामले में दोषी पाकर भादवि की धारा 302 में उम्रकैद, […]

धनबाद : तोपचांची थाना क्षेत्र के आमटांड़ निवासी शशि मरांडी हत्याकांड में गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम अरुण कुमार राय की अदालत ने जेल में बंद आरोपी रामचंद्र कुम्हार व महादेव कुम्हार को हत्या, अनुसूचित जाति उत्पीड़न व अवैध हथियार रखने के मामले में दोषी पाकर भादवि की धारा 302 में उम्रकैद, अनुसूचित जाति उत्पीड़न की धारा 3 (4) में एक वर्ष की कैद व दो हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी.

वहीं आर्म्स एक्ट की धारा 27 व 35 में तीन वर्ष की कैद व पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. फैसले के वक्त अदालत में विशेष लोक अभियोजक समीर सिंह चौधरी मौजूद थे. अदालत ने आरोपियों को 30 जुलाई 15 को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया था. घटना 15 अगस्त 02 की है. जमीन विवाद में मिश्री लाल मरांडी व रामचंद्र कुम्हार के बीच मारपीट हो रही थी.

तभी गोपाल कुम्हार ने शशि मरांडी को गोली मार हत्या कर दी. शशि मरांडी के भाई मिश्री लाल मरांडी के बयान पर तोपचांची थाना में कांड संख्या 97/02 दर्ज किया गया. सीता राम कुम्हार, विनोद कुम्हार व गोपाल कुम्हार फरार है.

मिश्री लाल को पांच वर्ष कैद की सजा : जमीन विवाद के उपरोक्त मामले में रामचंद्र कुम्हार पर फरसा से जानलेवा हमला करने के आरोप में गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश प्रथम एके राय की अदालत ने मिश्री लाल मरांडी को भादवि की धारा 325 में तीन वर्ष की कैद, पांच हजार रुपये जुर्माना, 341 में एक वर्ष और 307 में पांच वर्ष कैद व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. सभी सजाएं साथ चलेगी. 30 जुलाई 15 को आरोपी को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया था.

धौड़ा सुपरवाइजर को तीन वर्ष की कैद

सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश 11 सचिंद्र कुमार पांडेय की अदालत ने गुरुवार को रिश्वत खोरी के मामले में फैसला सुनाया है. इसमें बीसीसीएल के राजापुर ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट कुस्तौर के पूर्व धौड़ा सुपरवाइजर रामचंद्र शर्मा को पीसी एक्ट की धारा 7व 13 (2) सहपठित 13 (1) (डी) में दोषी पाकर तीन तीन वर्ष की कैद व दस-दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी.

अदालत ने सजायाफ्ता को झारखंड उच्च न्यायालय में अपील याचिका दायर करने के लिए अंशकालिक जमानत दे दी. यदि सजायाफ्ता जुर्माना की राशि अदा नहीं करता है तो उसे छह माह अतिरिक्त कैद की सजा काटनी होगी. फैसला सुनाने के वक्त अदालत में सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक कुंदन कुमार सिन्हा मौजूद थे.

क्या है मामला: बीसीसीएल के राजापुर ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट में सत्य नारायण बाउरी शॉवेल ऑपरेटर के पद पर कार्यरत थे. उसने प्रबंधन के पास क्वार्टर आवंटन के लिए आवेदन दिया था. प्रबंधन ने उक्त आवेदन को प्रोसेस करने के लिए धौड़ा सुपरवाइजर रामचंद्र शर्मा को आदेश दिया. जब श्री बाउरी अपने आवेदन की जानकारी लेने के लिए धौड़ा सुपरवाइजर के पास गया.

तब उसने आवेदन प्रोसेस करने के एवज में दस हजार रुपये बतौर रिश्वत की मांग की. शिकायतकर्ता श्री बाउरी ने लिखित शिकायत सीबीआइ एसपी को दी. सीबीआइ ने 2 अगस्त 02 को आरोपी धौड़ा सुपरवाइजर को पहली किस्त के रूप में पांच हजार रुपये रिश्वत लेते हुए धर दबोचा था.

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