धनबाद: इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन (आइमा) ने खनन उद्योग के लिए अलग राहत व पुनर्वास नीति (आरएंडआर पॉलिसी) बनाने की मांग की है. यह नीति ऐसी हो जिसमें स्थानीय आबादी (लोकल कम्युनिटी) की जीविका, जीवन स्तर में सुधार व कल्याण का समावेश हो. रविवार को आइएसएम में आइमा के राष्ट्रीय सेमिनार (माइको-13) पर इसे जारी किया गया. समापन समारोह के मुख्य अतिथि इसीएल के सीएमडी राकेश सिन्हा थे.
शिक्षा व स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें : सिफारिश में इस बिंदु का विशेष तौर पर जिक्र किया गया है कि खनन के बाद कोल कंपनियां स्थानीय लोगों की शिक्षा व स्वास्थ्य का विशेष तौर पर ख्याल रखें. इसके लिए सीएसआर में प्रावधान और बढ़ाया जाये. आइमा के अनुसार-वर्तमान सुरक्षा व स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएमएस) कारगर नहीं है. इससे शून्य जोखिम के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता. नियम आधारित प्रणाली के बजाय जोखिम पर फोकस किया जाना चाहिए. इसके लिए इन्हें संवैधानिक ढांचे में लाना आवश्यक है.
डिजाइन व साइड कॉस्ट ब्लास्टिंग पर जोर : आइमा ने खदानों के बेहतर डिजाइन व साइड कॉस्ट ब्लास्टिंग पर जोर दिया है. इसके जरिये ओपन कॉस्ट माइनिंग के उत्पादन में वृद्धि व सुरक्षा बेहतर करने में मदद मिलेगी. भूमिगत खदानों में उत्पादन बढ़ाने के लिए रूम व पिलर प्रणाली लागू करने की सिफारिश की गयी है. क्लीन कोल के लिए कोल वाशरी में आर एंड डी( रिसर्च एंड डेवलपमेंट) में तेजी लायी जाये.
अवैध उत्खनन की भी चर्चा : आइमा ने अवैध उत्खनन पर भी चर्चा की. कहा गया- यह न सिर्फ कोयला उद्योग बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है. पर्यावरण के लिहाज से भी यह बड़ा खतरा है. यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा स्नेत साबित हो रहा है. इसे रोकने में कोल कंपनियां, स्थानीय प्रशासन, संवैधानिक संस्थाओं, नीति निर्धारकों को साझा प्रयास करने चाहिए.
इन्होंने भी संबोधित किया : डॉ विनोद पी सिन्हा( अध्यक्ष), डॉ एसके सिंह,केएन सिंह, प्रो. एनसी सक्सेना.
ये मौजूद थे : अशोक सरकार (डीटी), पीएस मिश्र (जीएम), एके सिंह (जीएम), राजेश ठाकुर (टाटा कोलियरीज), आइ अहमद ( सिंफर), वीके सिन्हा (आरडी सीएमपीडीआइएल), पीके चौधरी, एस दासगुप्ता समेत अन्य.