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दिल्ली-नासिक से पढ़-लिख कर खोल ली डेयरी
धनबाद: साल भर पहले दोनों अलग-अलग कंपनी में काम कर रहे थे. दिलीप देश के नामी कंपनी में मैनेजर के पद पर थे और उनकी सालाना कमाई लाखों में थी. जबकि सुनील भी इंटरनेशनल कंपनी में काम कर रहे थे और अच्छा-खासा वेतन पा रहे थे. लेकिन नौकरी उन्हें रास नहीं आयी. स्वव्यवसाय की चाहत […]
धनबाद: साल भर पहले दोनों अलग-अलग कंपनी में काम कर रहे थे. दिलीप देश के नामी कंपनी में मैनेजर के पद पर थे और उनकी सालाना कमाई लाखों में थी. जबकि सुनील भी इंटरनेशनल कंपनी में काम कर रहे थे और अच्छा-खासा वेतन पा रहे थे. लेकिन नौकरी उन्हें रास नहीं आयी. स्वव्यवसाय की चाहत में दोनों ने एक साल पहले चार गाय से दूध का व्यवसाय शुरू किया. आज इनके पास 25 गायें हैं. दोनों रोज तीन सौ लीटर बेच रहे हैं. हाल के दिनों में सरायढेला में इन्होंने मिठाई की दुकान भी खोल रखी है. कहते हैं नौकरी से बेहतर स्थिति में हैं. आगे उनकी योजना शहर में मिल्क पार्लर खोलने की है.
बड़े भाई ने किया था मना : सुनील ने बताया कि जब उन्होंने डेयरी की योजना बतायी तो बड़े भाई ने कच्च व्यवसाय करने से मना कर दिया. लेकिन घर के अन्य सदस्य तैयार थे. डेयरी व्यवसाय में आने के पहले सुनील ने झारखंड सरकार द्वारा गौ पालन के लिए दो माह ट्रेनिंग रांची से ली. दिलीप के घर वालों ने भी ना नुकुर किया. फिर घरवालों की इच्छा से दिलीप मुंबई छोड़ धनबाद आ गये. दिलीप बताते हैं कि आने वाले एक साल में गायों की संख्या बढ़ा कर 100 करने का लक्ष्य है.
गो-सेवा से मिलता है सुकून : दिलीप ने बताया कि डेयरी का व्यवसाय चुनौतीपूर्ण रोजगार था. लेकिन हम दोनों ने तय कर लिया था. शुरुआत में कई तरह की परेशानी आयी. फिर भी हम दोनों अडिग रहे. प्रारंभिक दौर में तो गाय की पहचान तक नहीं थी, लेकिन अब हमारे पास 25 दुधारू गाय है, जो प्रतिदिन 300 लीटर दूध देती हैं. सुबह और शाम दोनों समय दूध लेने वालों की लाइन लगी रहती है. दोनों पूरा समय देते हैं. आवश्यकता पड़ने पर गोबर व पूरी डेयरी की सफाई तक करते हैं. देख-रेख व दूध दूहने के लिए पांच लोगों को रखे हैं. गाय की सेवा कर सुकून भी मिलता है.
खोलना है मिल्क पार्लर : दोनों ने बताया कि यदि सरकार हमारी थोड़ी बहुत सहायता करती है और लोन मिल जाता है तो हम लोग पूरे शहर को दूध दे सकते हैं. मिल्क पार्लर खोलने की इच्छा से ही डेयरी व्यवसाय में आये हैं. हमारे यहां शुद्ध दूध मिलता है. प्रारंभिक दौर में कुछ पार्लर धनबाद शहर में खोलना है.
बरवाअड्डा में खोली एसडी डेयरी
दिलीप ने बताया कि उन्होंने दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई की. पहली नौकरी दिल्ली में ही मिल गयी. बाद में दिल्ली में ही सलारो रिटेल कंपनी में नौकरी मिली. अच्छा अवसर मिला तो यहां नौकरी छोड़ बिड़ला रिसर्च एंड लाइफ साइंस कंपनी मुंबई में एकाउंट मैनेजर के पद पर ज्वाइन कर लिया. प्रतिमाह 85 हजार रुपये वेतन मिल रहा था. लेकिन संतुष्टि नहीं मिली. उन्होंने धनबाद में व्यवसाय कर कुछ नया करने का मन बनाया. उनके दोस्त सुनील भी सीग्रम इंटरनेशनल कंपनी में नौकरी कर रहे थे. 30 हजार रुपया वेतन था. एक दिन बॉस ने डांट दिया तो नौकरी से मन उचट गया. दोनों बचपन के दोस्त हैं सो साथ व्यवसाय करने की सोची. सुनील दिलीप (एसडी) डेयरी के नाम से बरवाअड्डा के पंडुकी में चार गायों से दूध का कारोबार शुरू किया.
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