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सीसीसी की बैठक डेढ़ साल से नहीं

धनबाद: बीसीसीएल केंद्रीय सलाहकार कमेटी (सीसीसी) की बैठक इंटक की अंदरूनी गुटबाजी के भंवर जाल में उलझ कर रह गयी है. 22 मार्च 2014 को हुई बैठक के बाद कमेटी की डेढ़ वर्षो में कोई बैठक नहीं हो पायी है. जबकि हर तीन माह में बैठक होनी चाहिए. यूनियन के प्रतिनिधि प्रबंधन को दोष देते […]

धनबाद: बीसीसीएल केंद्रीय सलाहकार कमेटी (सीसीसी) की बैठक इंटक की अंदरूनी गुटबाजी के भंवर जाल में उलझ कर रह गयी है. 22 मार्च 2014 को हुई बैठक के बाद कमेटी की डेढ़ वर्षो में कोई बैठक नहीं हो पायी है. जबकि हर तीन माह में बैठक होनी चाहिए. यूनियन के प्रतिनिधि प्रबंधन को दोष देते है. वहीं इस मुद्दे पर कंपनी का कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं. लेकिन कंपनी के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो इंटक से संबद्ध राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (आरसीएमएस) की गुटबाजी के कारण बैठक नहीं हो पा रही है.
अन्य कमेटियों का हाल
सेफ्टी कमेटी की बैठक नियमित हो रही है. क्योंकि यह प्रबंधन के लिए वैधानिक मजबूरी है. अगर सेफ्टी कमेटी की बैठक नियमित नहीं होगी तो डीजीएमएस एक्शन मोड में आ जायेगा. तब कोयले का उत्पादन बंद होने का खतरा पैदा हो जायेगा. वेलफेयर बोर्ड की बैठक 15 जून 2013 के बाद 20 अप्रैल 2015 को हुई. सूत्र बताते है कि कोल इंडिया वेलफेयर बोर्ड की बैठक में यूनियन नेताओं ने बीसीसीएल वेलफेयर बोर्ड की बैठक नहीं होने का मामला उठाया. तब जाकर बैठक हुई.
क्या है आरसीएमएस का मामला
इंटक से संबद्ध राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ में फिलहाल तीन गुट काम कर रहा है. पहला राजेंद्र सिंह गुट, दूसरा ददई दुबे एवं तीसरा ललन चौबे गुट. पहले गुट के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, महामंत्री एके झा, दूसरे गुट के अध्यक्ष पूर्व विधायक इजरायल अंसारी, महामंत्री एनजी अरुण, तीसरे गुट के अध्यक्ष एचएन चटर्जी, महामंत्री ललन चौबे हैं. तीनों गुट अपने आप को असली आरसीएमएस होने एवं दूसरे को फर्जी होने का दावा करता है.
विवाद का असर
कंपनी में तीन उच्च स्तरीय कमेटी, सलाहकार कमेटी, वेलफेयर बोर्ड एवं सेफ्टी कमेटी है, जिसमें यूनियनों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. सलाहकार कमेटी में इंटक के ओपी लाल, ललन चोबे एवं उदय सिंह प्रतिनिधित्व करते थे. उदय सिंह के निधन के बाद विवाद शुरू हुआ. राजेंद्र गुट ने एके झा को उदय सिंह के स्थान पर मनोनीत किया. ललन चौबे ने अजय दुबे को मनोनीत किया. वहीं ददई गुट ने ददई दुबे, इजरायल अंसारी एवं एनजी अरुण को सलाहकार कमेटी का सदस्य मनोनीत कर दिया. यही नहीं, तीनों गुटों ने तीनों कमेटियों में अपना-अपना प्रतिनिधि मनोनीत कर दिया. इससे प्रबंधन पसोपेश में है. सवाल यह खड़ा हो गया कि बैठक में किसे बुलायें, किसे न बुलायें. एक को बुलाने पर दूसरे के नाराज होने का खतरा. बैठक बुलाने पर हंगामा होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. सो प्रबंधन के लिए सरल रास्ता यही कि बैठक ही न हो. ऐसा ही विवाद वर्ष 2010 में जनता मजदूर संघ के दो गुट होने पर पैदा हुआ था. तब लगभग दो वर्षो तक बैठक नहीं हो पायी थी.
बोले नेता
सीटू के नेता और सलाहकार समिति के सदस्य एसके बक्सी ने कहा प्रबंधन मनमानी कर रहा है. ललन चौबे ने कहा यूनियन है कहां. सिर्फ प्रबंधन रह गया. आरसीएमएस के महामंत्री ने कहा जल्द बैठक होगी.

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