22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ब्याज के पैसे से जिला परिषद में वेतन भुगतान

धनबाद: जिला परिषद के कर्मचारियों और अधिकारियों को बैंक में जमा सेस की राशि के ब्याज से वेतन मिलता है. सात वर्षो से परिषद को रायल्टी की एक फूटी कौड़ी नहीं मिली है, जबकि न्यायालय का आदेश है कि वर्ष 2008 के बाद सेस के बजाय रायल्टी मद में पैसे मिलेंगे. लेकिन राज्य सरकार से […]

धनबाद: जिला परिषद के कर्मचारियों और अधिकारियों को बैंक में जमा सेस की राशि के ब्याज से वेतन मिलता है. सात वर्षो से परिषद को रायल्टी की एक फूटी कौड़ी नहीं मिली है, जबकि न्यायालय का आदेश है कि वर्ष 2008 के बाद सेस के बजाय रायल्टी मद में पैसे मिलेंगे. लेकिन राज्य सरकार से इस सिलसिले में पहल नहीं की गयी. जिला परिषद में कुल 74 अधिकारी-कर्मचारी हैं.
62 करोड़ रुपये बैंक में हैं फिक्स्ड डिपॉजिट : 2000 में सेस की राशि मद में पहली किस्त 46 करोड़ रुपये बिहार से मिले थे. इसमें नौ करोड़ रुपये बोकारो जिप को दिये गये और 38 करोड़ धनबाद के हिस्से में आये.

दूसरी किस्त उसी साल एक अरब, तीन करोड़, 24 लाख, 67 हजार, 392 रुपये मिले. इसके बाद झारखंड सरकार की ओर से 34 करोड़, 94 लाख, 99 हजार रुपये मिले. कुल राशि में से 35 करोड़ रुपये बोकारो को भेज दिये गये. सेस के मद में अब तक कुल एक अरब 84 करोड़, 19 लाख, 66 हजार, 794 रुपये मिले हैं. इसमें से आठ करोड़ रुपये पीएल एकाउंट में रखे गये. योजनाओं में खर्च के बाद बची राशि में से 62 करोड़ रुपये बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट कर दिये गये और उसी के ब्याज से वेतन का भुगतान होता है.

जबकि एक अरब रुपये योजनाओं में खर्च कर दिये गये. जिला परिषद कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की माने तो इससे पहले उप विकास आयुक्त एन उपाध्याय, रवींद्र शर्मा, आरके गुप्ता के समय इस राशि से कई योजनाएं ली गयीं, जबकि कोर्ट के आदेश के तहत यह राशि सिर्फ कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए है.

वेतन नहीं मिलने से कई कर्मियों की हो चुकी है मौत : संघ के कर्मचारियों ने बताया कि वर्ष 2000 से पहले जिला परिषद की माली हालत इतनी खराब हो गयी थी कि कर्मियों को वेतन तक नहीं मिलता था. इलाज नहीं हो पाने के कारण बीमारी से सुरेंद्र सिंह, डॉ अब्दुल मन्नान की मौत हो चुकी है. बच्चे की पढ़ाई के लिए फीस के पैसे नहीं थे तो कर्मचारी वासकीत सिंह ने फांसी लगा ली थी.
आय के पैसों से ही योजना लेने का निर्णय : कर्मचारियों ने बताया कि पिछली बार जिप सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्र में इसी राशि से 25- 25 लाख रुपये की योजना लेने का निर्णय बोर्ड की बैठक में लिया था, जिसका संघ ने विरोध किया. तत्कालीन उपायुक्त के हस्तक्षेप से फ्किस्ड डिपॉजिट को नहीं तोड़ने का निर्णय लिया गया. तय हुआ कि जिप के संसाधन की आय के पैसों से ही योजनाएं ली जायेंगी और वही चल रहा है. इनका कहना है कि उक्त राशि खर्च कर दी गयी तो फिर से वही स्थिति आ सकती है.
अभी क्या है आमदनी का जरिया : अभी जिला परिषद को नये आइबी से अच्छी-खासी आमदनी हो रही है. विवाह मंडप से भी प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपये आते हैं. पैगोड़ा बनाये गये हैं, लेकिन उतने कारगर नहीं हैं. इसके अलावा तीन सौ दुकान पहले से हैं.
आगे क्या हो रहा है : धनबाद क्लब के सामने एक और विवाह मंडप बन कर तैयार है. हीरापुर एवं पुराना बाजार में मॉल बनाने की तैयारी चल रही है. खड़ेश्वरी मंदिर के पास 50 दुकानें बनायी जा रही हैं. दो महिला छात्रवास बनाने की योजना है. पूजा टॉकिज के पास कुछ और दुकान बनाने के लिए टेंडर निकल चुका है. अभी कई और योजनाएं ली गयी हैं.
और क्या हो सकता है : जिला परिषद के दोनों गेट के पास बहुत जगह है, वहां एटीएम बनाया जा सकता है. इससे आमदनी तो बढ़ेगी साथ ही सुरक्षा भी होगी. निरसा में थाना के सामने सामुदायिक भवन है, पहले इस पर थाना वालों का कब्जा था, लेकिन जब से यह जजर्र हुआ है तब से वैसे ही पड़ा हुआ है. यह फिर से बन जाय तो आमदनी बढ़ सकती है.
जिला परिषद की हालत बहुत खराब थी. जब मैं अघ्यक्ष बनी तो सदस्यों के सहयोग से आमदनी बढ़ाने के लिए बहुत काम किये गये, कई काम चल रहे हैं. अभी पहले वाली राशि खर्च करने की कोई बात नहीं है. पुराना बाजार एवं हीरापुर में पीपीपी मोड पर मॉल बनाया जायेगा. इसके लिए राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा जा रहा है. स्वीकृति मिलते ही उसे बनाने का काम शुरू हो जायेगा. जल्द ही रायल्टी के पैसे राज्य सरकार से मांगेंगे.
माया देवी, अध्यक्ष, जिला परिषद

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें