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मुआवजा घोटाला-4 : कहते थे डीसी ऑफिस से आये हैं, अंगूठा लगा दो
धनबाद : विपिन सर और अनिल सर यहां आते थे, कहते थे डीसी ऑफिस का अफसर हूं. तुम्हारी जमीन के लिए पैसा देना है. इस कागजात पर अंगूठा लगा दो. हम अंगूठा लगा देते थे. बाद में पता चला कि उन्होंने हमारा रुपया निकाल लिया. यह कहना है धनबाद शहर से सटे दुहाटांड़ के आदिवासियों […]
धनबाद : विपिन सर और अनिल सर यहां आते थे, कहते थे डीसी ऑफिस का अफसर हूं. तुम्हारी जमीन के लिए पैसा देना है. इस कागजात पर अंगूठा लगा दो. हम अंगूठा लगा देते थे. बाद में पता चला कि उन्होंने हमारा रुपया निकाल लिया. यह कहना है धनबाद शहर से सटे दुहाटांड़ के आदिवासियों का. इनकी जमीन रिंग रोड के लिए अधिग्रहण किया गया.
दलालों ने कुल 11 करोड़ रुपये इनके खाते से निकाल लिये. दुहाटांड के देवराज मुरमू (35 वर्ष), उनके चाचा रसिक मुरमू (48 वर्ष) और देवराज के चचेरे भाई गणोश मुरमू (35वर्ष) की 98 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण किया गया. देवराज को 1.32 लाख रुपये, रसिक को तीन लाख रुपये और गणोश को 90 हजार रुपये ही मिले. देवराज के खाते से 1.4896 करोड़, रसिक के खाते से 27 लाख और गणोश के खाते से 63 लाख रुपये बिचौलिये ने निकाल लिये.
तीनों ने प्रभात खबर को बताया कि जमीन अधिग्रहण के समय विपिन सर हमारे पास आये. वह कहते थे डीसी कार्यालय से आया हूं, खुद को अफसर कहते थे. वे जमीन से संबंधित कागजात मांग कर ले जाते थे.
इसके बाद जरूरत पड़ने पर कागजों में अंगूठा लगवा लेते थे. वर्ष 2012 में जोड़ा पोखर पैक्स में खाता खोलवाया था. पैक्स में कितनी व कब राशि आयी, इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती थी. देवराज और उसके दोनों बच्चे मजदूरी करते थे. जोड़ापोखर पैक्स में वर्ष 2012 में खाता खुला, लेकिन पैसे के लेन-देन की बारे में हम लोगों को कभी नहीं बताया जाता था. हमलोगों को जो पैसे मिले, वह हाथों हाथ ही मिले हैं. कोई चेक या दूसरे माध्यम से नहीं मिला है.
फिलहाल तीन बच्चों के भरण पोषण के लिए शहर में मजदूरी करते हैं. इसी परिवार के गणोश मुरमू कहते हैं कि विपिन सर चाचा रसिक मुरमू व चचेरे भाई देवराज से कागजात की मांग करते थे. कहते थे कि जमीन के लिए तुम लोगों को सरकार पैसे देगी. सरकार को यहां सड़क बनाना है.
इसके बाद जमीन के कागजात ले गये. वर्ष 2012 में जोड़ापोखर पैक्स में खाता खुला, लेकिन इसका खाता व अन्य कागजात विपिन सर रखते थे. जब पता चला की खाते में बड़ी राशि आयी है, तब विपिन सर के घर गये. वहां जाने पर कभी दो, तो कभी चार हजार रुपये दे दिये जाते थे.
कुछ लोग मामला मैनेज करने में लगे!
ऐसा लगता है कि कुछ लोग मामले को मैनेज करने में जुट गये हैं. पीड़ितों को धनबाद बुलाया जा रहा है. दुहाटांड़ के जयदेव मांझी (50वर्ष) पिता स्व मताल मांझी घर पर नहीं थे. इनके 86.18 लाख रुपये बिचौलियों ने निकाल लिये हैं.
उनकी पत्नी व पुत्र रमेश ने बताया कि विपिन सर व अनिल सर जमीन अधिग्रहण के समय आते थे. कहते थे सड़क बनाने के लिए जमीन की जरूरत है. इसके लिए बदले तुम लोगों को पैसे मिलेंगे. इसके बाद उन्होंने के कागजात मांगे. वर्ष 2012 में जोड़ापोखर पैक्स में खाता खोला गया. इसके बाद विपिन सर ने बताया कि अकाउंट्स में राशि आयी है. इसमें से विपिन सर ने हमारे परिवार को 12 लाख रुपये दिये. हालांकि राशि कितनी आयी थी, इसके बारे में हमलोगों को न पैक्स वालों ने बताया, न खुद विपिन सर ने.
इसी तरह दुहाटांड के सीताराम मरांडी के घर ताला लटका हुआ है. पड़ोसियों ने बताया कि वह छोटी-मोटी दुकान चलाता है. लेकिन सुबह से कागजात लेकर कहां निकला है, पता नहीं. उनके परिवार के लोग भी नहीं है. सीताराम के 83.17 लाख रुपये बिचौलियों ने निकाल लिये हैं. वहीं दुहाटांड़ के सुकलाल मरांडी के भतीजे बबलू ने बताया कि चाचा जमीन से संबंधित कागजात लेकर शहर गये हुए हैं. कुछ लोगों ने उन्हें शहर में बुलाया था. सुकलाल मरांडी के 36.32 लाख बिचौलियों ने निकाले हैं.
22 दिन में हो गयी तीन करोड़ की निकासी
झरिया विकास एवं पुनर्वास प्राधिकार (जेआरडीए) के लिए सरकार ने पश्चिमी टुंडी के करमागोड़ा निवासी श्याम लाल हांसदा की जमीन का अधिग्रहण किया है. बदले में 3.32 करोड़ 290 रुपया चेक द्वारा उसके खाते में डाला गया, लेकिन बिचौलियों ने चार जून से 26 जून 2013 तक मात्र 22 दिनों में तीन करोड़ रुपये निकाल लिए. मामले में बैंक की भूमिका भी काफी चौंकानेवाला है.
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