नगर निगम के पत्रंक 54 ( 03-01-11) के जरिये 9,08,500 एवं पत्रंक 47 ( 22.01.0-11) के जरिये 5,82,650 रुपये प्रेषित किये गये. रुपये को तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी शैल प्रभा कुजूर ने स्टेट बैंक करकेंद बाजार के निजी खाते (संख्या 31613605570) में रखा, जो नियम के विरुद्ध है. अभिलेख की जांच के आलोक में बैंक पास बुक में पाया गया कि 10.02.11 तक सिर्फ 13 लाख 85 हजार रुपये निकाले गये, लेकिन 14 लाख 91 हजार 150 रुपये का भुगतान प्रस्तुत किया गया.
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जनगणना मानदेय की राशि का गबन
धनबाद: नगर निगम में जनगणना मानदेय के 1.6 लाख रुपये का गबन कर लिया गया है. ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. उप सचिव ने दोषियों पर कार्रवाई करते हुए सरकार को सूचना देने का निर्देश नगर आयुक्त को दिया है. इसके आलोक में नगर आयुक्त ने संबंधित पदाधिकारी को नोटिस देकर जवाब मांगा […]
धनबाद: नगर निगम में जनगणना मानदेय के 1.6 लाख रुपये का गबन कर लिया गया है. ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. उप सचिव ने दोषियों पर कार्रवाई करते हुए सरकार को सूचना देने का निर्देश नगर आयुक्त को दिया है. इसके आलोक में नगर आयुक्त ने संबंधित पदाधिकारी को नोटिस देकर जवाब मांगा है. ऑडिट रिपोर्ट में बताया है कि छाताटांड़ अंचल में जनगणना मानदेय में 1.6 लाख रुपये की अनियमितता की गयी.
निगम के घोटालेबाज अधिकारी, कर्मी को गिरफ्तार करें : जगत
भाजपा ग्राम पंचायत प्रकोष्ठ के संयोजक जगत महतो ने धनबाद नगर निगम में चापाकल मरम्मत के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग की है.
गुरुवार को मुख्यमंत्री को एक फैक्स भेज कर कहा है कि वित्त विभाग की ऑडिट टीम ने निगम के कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस घोटाला में संलिप्त पाया है. पत्र में निगम के एक सेनेटरी इंस्पेक्टर पर जालसाजी करने का भी आरोप है. फर्जी शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यता के आधार पर नौकरी लेने का आरोप है. उक्त कर्मचारी के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की मांग की गयी है.
बिना आवंटन प्राप्त कर लिया भुगतान
रिपोर्ट के अनुसार कार्यपालक पदाधिकारी के खाते से 10.02.11 तक मात्र 13 लाख 85 हजार रुपये निकाले गये. इसके बाद 24.03.11 तक 1 लाख 40 हजार की निकासी की गयी. कुल 14 लाख 91 हजार 150 रुपये निकाले गये. जनगणनना में लगे मास्टर ट्रेनर पर्यवेक्षक एवं प्रगणक को 9.02.11 को पांच लाख 82 हजार 650 एवं 10.02.11 को 9 लाख आठ हजार रुपये पारित किये गये. भुगतान के समर्थन में प्रस्तुत अभिलेख की जांच में पाया गया कि श्रीमती कुजूर को जनगणनना 2011 के भेजे गये आवंटन 14 लाख 91 हजार पांच सौ रुपये सिर्फ मास्टर ट्रेनर पर्यवेक्षक एवं प्रगणकों के लिए ही था, लेकिन उन्होंने सहायक पदाधिकारी के रूप में 10.02.11 को आठ हजार रुपये का भुगतान प्राप्त कर लिया. बिना आवंटन के सहायक चार्ज पदाधिकारी द्वारा भुगतान प्राप्त करना गंभीर वित्तीय अनियमितता है.
होगी जांच : प्रभारी नगर आयुक्त
प्रभारी नगर आयुक्त सिद्धार्थ शंकर चौधरी ने कहा कि उप सचिव के निर्देश के आलोक में कार्यपालक पदाधिकारी को नोटिस भेजा गया गया है. जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
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