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पीएमसीएच में पहली बार नेत्र प्रत्यारोपण

धनबाद: पीएमसीएच में गुरुवार का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. नेत्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रजनीकांत सिन्हा व उनके सहयोगियों ने नेत्र प्रत्यारोपण कर एक युवक की आंखों की रोशनी लौटा दी. सड़क दुर्घटना में अपनी आंखें गवाने वाले बरवाअड्डा के युवक को नयी रोशनी मिल गयी. डॉक्टरों ने बताया कि […]

धनबाद: पीएमसीएच में गुरुवार का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. नेत्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रजनीकांत सिन्हा व उनके सहयोगियों ने नेत्र प्रत्यारोपण कर एक युवक की आंखों की रोशनी लौटा दी. सड़क दुर्घटना में अपनी आंखें गवाने वाले बरवाअड्डा के युवक को नयी रोशनी मिल गयी.

डॉक्टरों ने बताया कि कॉर्निया लगते ही युवक ऑपरेशन थियेटर के टेबल पर ही बोलने लगा, ‘सर, बल्ब की रोशनी तेज आ रही है इसे कम करिये’. नेत्र प्रत्यारोपण में लगभग डेढ़ घंटे लगे. वहीं एक और बुजुर्ग का नेत्र प्रत्यारोपण करना था, लेकिन टेबल पर आते उन्हें हर्ट अटैक आ गया. इस कारण उन्हें आइसीयू में भरती कर दिया गया. इस कारण एक कॉर्निया को रिजेक्ट कर दिया गया. टीम में डॉ उदय शंकर सिंह, ओटी असिस्टेंट रमेश, अशोक व अन्य का सराहनीय योगदान रहा.

सौ को कॉल किया गया, तीन आये
डॉ सिन्हा ने बताया कि नेत्र प्रत्यारोपण के लिए सौ लोगों ने आवेदन दिया था. सभी को फोन किया गया, लेकिन तीन लोग ही आये जिले नेत्र लगवाना था. तीन में से दो को चुना गया. एक धनबाद के ही 60 वर्षीय व्यक्ति व दूसरा बरवाअड्डा के एक युवक को. पहले ऑपरेशन के लिए बुजुर्ग को चुना गया, लेकिन टेबल पर ही हर्ट अटैक के कारण उन्हें सीसीयू में भरती कराया गया. इसके बाद शाम चार बजे युवक को टेबल पर लाया गया. करीब साढ़े पांच बजे कॉर्निया लगा दिया गया.
पिता की आंखों से छलके आंसू
अंदर बेटे का नेत्र प्रत्यारोपण हो रहा था, तो ओटी के बाहर पिता भगवान से दुआ कर रहे थे. जब चिकित्सकों ने खुशखबरी दी, तो पिता के आंखों से आंसू छलक पड़े. कहा कि पीएमसीएच ने मेरे बेटे को अनमोल तोहफा दिया है, नहीं तो हम गरीब लोग ठीक से बुखार का इलाज नहीं करवा पाते हैं, तो नेत्र प्रत्यारोपण तो सपने में भी नहीं सोचा था. उन्होंने चिकित्सकों को धन्यवाद दिया.

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