अंतत: कबाड़ के लिए सर्वाधिक बोली एक लाख 26 हजार रुपये ही लगायी गयी. कबाड़ में कई ऐसे सामान भी बेच दिये गये, जो काम लायक थे. फ्रिज, व्हील चेयर, कुछ उपकरण तो मरम्मत के बाद चालू हो सकते थे. सदर में बंद पीएमसीएच से लेकर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल से यह कबाड़ निकाले गये थे. कबाड़ गोविंदपुर के एक व्यक्ति ने लिया है. दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कबाड़ काफी खराब थे. लंबे समय से पड़े थे इनकी मरम्मत नहीं हो सकती थी.
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पीएमसीएच : पांच लाख का कबाड़ एक लाख में
धनबाद. पीएमसीएच में कबाड़ के ऑक्सन में सिंडिकेट्स का दबदबा रहा. सिंडिकेट्स ने लगभग पांच लाख (बाजार के अनुसार) के समान को मात्र एक लाख 26 हजार में ही खरीद लिया. सबसे हैरत की बात यह थी कि प्रबंधन के इन कबाड़ के लिए मात्र एक लाख रुपये ही सरकारी दर रखी थी. ऑक्सन में […]
धनबाद. पीएमसीएच में कबाड़ के ऑक्सन में सिंडिकेट्स का दबदबा रहा. सिंडिकेट्स ने लगभग पांच लाख (बाजार के अनुसार) के समान को मात्र एक लाख 26 हजार में ही खरीद लिया. सबसे हैरत की बात यह थी कि प्रबंधन के इन कबाड़ के लिए मात्र एक लाख रुपये ही सरकारी दर रखी थी. ऑक्सन में 46 लोग शामिल हुए थे. लेकिन सिंडिकेट्स ने अपने-अपने दस-दस लोगों को इसमें लगा दिया था. लोगों ने काफी कम बोली लगायी.
मरम्मत के बाद फिर से सप्लाइ : मेडिकल सूत्रों ने बताया कि दरअसल पूरे ऑक्सन के पीछे एक दबंग व्यक्ति का हाथ है. सामानों को थोड़ी मरम्मत कर फिर से इसे अस्पताल के हवाले कर दिया जायेगा. इससे पहले भी ऐसी प्रक्रिया हो चुकी है. मरम्मत के बाद बाजार के कीमत पर ही वापस इसे अस्पताल में बेच दिया जाता है. पूरे मामले में कमीशन का खेल चलता है.
सरकारी रेट से ज्यादा पर बिका : प्रबंधन
मामले पर पीएमसीएच अधीक्षक डॉ के विश्वास ने बताया कि सरकारी रेट एक लाख रुपये के करीब दर रखी गयी थी. जबकि एक लाख 26 हजार पर कबाड़ बेचे गये. बताया कि कबाड़ से अस्पताल में जगह की कमी हो रही थी. इसे हटाने से काफी जगह भी मिली है.
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