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पांच दिनों से महिला थाना में ‘कैद’ दुष्कर्म पीड़ित दलित लड़की

धनबाद: धनसार थानांतर्गत गांधी रोड में दुष्कर्म की शिकार दलित लड़की दामिनी (काल्पनिक नाम) घटना के बाद से ही महिला थाना में ‘कैद’ है. बुधवार को फर्जी डॉक्टर आरएन कुमार ने उसके साथ तब दुष्कर्म किया था, जब वह इलाज कराने गयी थी. घटना के बाद से लड़की गहरे सदमे में है. पूछने पर कुछ […]

धनबाद: धनसार थानांतर्गत गांधी रोड में दुष्कर्म की शिकार दलित लड़की दामिनी (काल्पनिक नाम) घटना के बाद से ही महिला थाना में ‘कैद’ है. बुधवार को फर्जी डॉक्टर आरएन कुमार ने उसके साथ तब दुष्कर्म किया था, जब वह इलाज कराने गयी थी. घटना के बाद से लड़की गहरे सदमे में है. पूछने पर कुछ नहीं बोलती है. लड़की के पिता ने बताया कि बुधवार से बेटी थाना में है. रात में उसकी मां साथ में रहती थी. लेकिन गुरुवार के बाद उसे मना कर दिया गया. कहा गया कि केवल लड़की रहेगी.

लड़की वहीं सोती है. घर से रोज खाना जाता है. पूरा परिवार परेशान है. हमारा आठ-दस लोगों का परिवार है. जूता-चप्पल मरम्मत का काम करते हैं. रोज कमाते-खाते हैं. पांच दिनों से काम भी नहीं कर पा रहे हैं. नौबत भुखमरी की आ गयी है. यह इंसाफ दिलाने का क्या तरीका है? आखिर हमारी बेटी का क्या कसूर है? इधर पुलिस इस हालत के लिए चिकित्सकों को जिम्मेवार बता रही है. उसका कहना है कि पीड़िता की मेडिकल जांच गुरुवार को हुई थी. एसआइ सह मामले के अनुसंधानकर्ता अनिल कुमार ने गुरुवार को ही पीएमसीएच अधीक्षक को आवेदन देकर मेडिकल बोर्ड गठित कर पीड़िता का जांच कराने का आग्रह किया था. जांच नहीं होने से लड़की को थाना में रखना पड़ रहा है.

कहां गयी संवेदना!
दिल्ली की दामिनी दुष्कर्म व हत्याकांड के बाद सरकारी मशीनरी और आम नागरिक को जागरूक बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये. तुरंत इंसाफ के लिए नयी व्यवस्था शुरू की गयी. घटना के विरोध में यहां भी कैंडल मार्च का सिलसिला चल पड़ा. लेकिन क्या इसका असर हुआ? क्या हमारी सरकारी मशीनरी संवेदनशील हुई? क्या हम जागरूक हुए? इस तरह के मामले के बाद पीड़िता को महिला थाना में दिन रात कैदी की तरह रखना कहां तक उचित है? क्या ऐसा इसलिए कि लड़की गरीब और दलित है? और आरोपी पैसावाला है? पुलिस-प्रशासन को इन सवालों का जवाब देना होगा.

24 जुलाई : नाबालिग दलित लड़की से दुष्कर्म. धनसार थाना में गुरुवार को फर्जी डॉक्टर आरएन कुमार के खिलाफ धारा 376 डी व 6 पीओसीएसओ एक्ट के तहत मामला दर्ज. आरोपी गिरफ्तार.

25 जुलाई : पीड़िता की सरायढेला स्थित पीएमसीएच अस्पताल में मेडिकल जांच. पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से जांच का आग्रह किया.

27 जुलाई : आरोपी आरएन कुमार को पीएमसीएच अस्पताल से जेल भेजा गया.

28 जुलाई : आरोपी रेलकर्मी आरएन कुमार पर अभी तक विभागीय कार्रवाई नहीं. वह डॉक्टर नहीं सीएमए ऑफिस में चेन मैन है.

आज मेडिकल बोर्ड करेगी जांच
पीड़ित युवती के लिए सोमवार को मेडिकल बोर्ड बैठेगी. अधीक्षक डॉ अरुण कुमार को बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है. अधीक्षक डॉ कुमार ने बताया कि बोर्ड में सजर्री, गायनी, फॉरेंसिक आदि विभाग के चिकित्सक मौजूद रहेंगे. बोर्ड के सदस्य अपने-अपने मंतव्य देंगे. मेडिकल बोर्ड बैठाने में हो रही देरी पर अधीक्षक ने बताया कि जांच प्रक्रिया में कुछ समय लगता है. पहले दिन यह जांच की गयी कि लड़की के साथ रेप हुआ या नहीं. इस केस में सबसे महत्वपूर्ण बात है लड़की बालिग है या नाबालिग. इसके लिए एक्स रे सहित कुछ अन्य जांच की गयी है. इसे कुछ मिनटों में साबित नहीं किया जा सकता. इसमें कुछ समय लगता है.

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