चिरकुंडा: सारधा ग्रुप ऑफ कंपनीज ने चिरकुं डा ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों भोले-भाले ग्राहकों को लगभग दो करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया है. पेट काट कर उज्ज्वल भविष्य के लिए जिन ग्राहकों ने कंपनी की चिरकुंडा शाखा में पैसे जमा कर रखे थे, लुटने-पीटने के बाद वे अब अपनी किस्मत को कोस रहे हैं. पुलिस ने बीती 12 जनवरी को छापेमारी में इस शाखा को सील कर दिया था, वरना लुटने वालों की फेहरिस्त व राशि- दोनों और लंबी हो सकती थीं.
इधर, कंपनी द्वारा कामकाज बंद करने व इसके मालिक सुदीप्त सेन की गिरफ्तारी की खबरों के बीच चिरकुंडा पुलिस निवेशकों की मोटी रकम डकारने के आरोपित श्री सेन को रिमांड पर मांगने की तैयारी कर रही है.
सुदीप्त पर दर्ज है ठगी का मामला : चिरकुंडा पुलिस ने 12 जनवरी को ननबैंकिं ग कंपनियों की शाखाओं के खिलाफ अभियान चलाया था. इस दौरान सरसापहाड़ी के होटल सुमन परिसर में स्थित सारधा ग्रुप ऑफ कंपनीज के भी दफ्तर में छापेमारी की गयी थी.
जांच के बाद पुलिस ने दफ्तर सील कर दिया था. इस सिलसिले में चिरकुंडा थाना में भादंवि की धारा 420 व 120(बी) तथा 3/4/6 द प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन एक्ट के तहत सुदीप्त सेन, अशोक विश्वास, शुभोजीत सेन व प्रियंका सेन को आरोपित किया गया था. पुलिस नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है. साथ ही सुदीप्त सेन को कोर्ट से रिमांड पर मांगने के लिए वह कोलकाता जाने वाली है. इस मामले के अनुसंधानकर्ता थानेदार सुधीर प्रसाद साहू हैं.
ज्यादा लाभ का लालच दे ठगा
चिरकुंडा सरसापहाड़ी की शाखा पांच अक्तूबर 2012 को खुली थी. कंपनी की लोक-लुभावन स्कीम से ग्रामीण क्षेत्र के लोग काफी प्रभावित हुए. बेनागड़िया, शिवलीबाड़ी, एग्यारकुं ड, चांच, पंचेत, कुमारधाबी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां के लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई कंपनी में जमा कर रखी थी. इनमें से अधिकांश दैनिक मजदूरी करने वाले हैं. बताया जाता है कि कंपनी के आसनसोल निवासी तीन-चार एजेंट यहां आकर काम करते और लोगों को बेहतर रिटर्न का लालच देकर अपने जाल में फांसते. एजेंट फिक्स डिपॉजिट, रेकरिंग व एमआइएस में 16.5 से 20 फीसदी ब्याज देने की बात कह पैसा जमा करवाते थे. इस काम के एवज में एजेंटों को भी मोटा कमीशन कंपनी देती थी.