धनबाद: कोल इंडिया की राह में भू- अधिग्रहण सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है. अगर इस समस्या का समाधान कंपनी ने जल्द नहीं ढूंढा तो 12 वीं योजना में लक्ष्य से पिछड़ने का खतरा मंडरा सकता है. कोल इंडिया को इस वित्तीय वर्ष में 482 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है जबकि 2016-17 तक 615 मिलियन टन का टारगेट है.
कंपनियों को दिशा -निर्देश जारी : कोल इंडिया की ओर सभी कंपनियों को दिशा- निर्देश जारी किये गये हैं कि वे भू- अधिग्रहण से संबंधित मामलों का जल्द से जल्द से निबटारा करें. राज्य सरकार के समक्ष भी इन मामलों को उठाया जाये ताकि भू- अधिग्रहण में तेजी लायी जाये.
नयी परियोजनाओं पर लगा ब्रेक : कोल इंडिया सूत्रों की माने तो 18 मिलियन टन की सात नयी परियोजनाओं पर केवल इसलिए ब्रेक लग गया है क्योंकि उनके विस्तारीकरण के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है. इससे 18 मिलियन टन उत्पादन प्रभावित हो रहा है. कोयला उत्पादन में इजाफा नहीं होने कती वजह से कोयला आधारित संयंत्रों विशेष तौर पर पॉवर सेक्टर को कोयला की कम आपूर्ति हो रही है. नेशनल ग्रिड पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
नयी रेल लाइनें भी अधर में : भू-अधिग्रहण नहीं होने के कारण नयी रेल लाइनें भी अधर में लटक गयी हैं. इस वजह से डिस्पैच भी प्रभावित हो रहा है. 1097 गांवों की जमीन खनन परियोजनाओं की वजह से प्रभावित हुई हैं. अगर भू- अधिग्रहण में तेजी नहीं लायी गयी तो कोयला उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.