धनबाद: खतरनाक घोषित पीएमसीएच कोर्ट मोड़ के मरीजों को सरायढेला के नया भवन में शिफ्ट नहीं किया जा सका. क्योंकि काम अभी भी बाकी है. जबकि इसे 2011 में पूरा किया जाना था. काम पूरा करने और शिफ्टिंग के लिए उच्च अधिकारियों ने कम से कम पांच बार आदेश जारी किया. ताजा आदेश स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के विद्यासागर का था.
उन्होंने बुधवार तक का अल्टीमेटम दिया था. लेकिन उनके आदेश का भी पालन नहीं हुआ. पीएमसीएच में कोई डेढ़ सौ मरीज खतरे के बीच अपना इलाज करा रहे हैं. भवन खाली होते ही उसे तोड़ कर सदर अस्पताल बनाया जाना है.
प्रधान सचिव की भी नहीं सुनते
प्रधान सचिव एक जून को यहां प्रमंडलीय बैठक के सिलसिले में आये थे. उन्हें बताया गया था कि नया भवन का काम पूरा हो गया है. केवल वायरिंग का कुछ काम बाकी है. जल्द ही सजिर्कल और ऑर्थो विभाग को शिफ्ट कर दिया जायेगा. लेकिन वायरिंग का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
अपना काम पूरा कर दिया : इइ
भवन प्रमंडल के कार्यकाल अभियंता मनोज कुमार महली ने बताया कि आंतरिक विद्युतीकरण करा दिये गये हैं. भवन प्रमंडल विभाग का काम पूरा हो गया है. अब बाह्य विद्युतीकरण करना है. यह मेरे कार्य क्षेत्र में नहीं हैं. मेरे विभाग पर जबरन दबाव बना कर बाह्य विद्युतीकरण कराया जा रहा है. इसके लिए पोल से पावर का डिस्ट्रीब्यूशन करना है. इसके बाद उसे वार्ड से जोड़ना है. इसके लिए अगल से कोई फंड भी नहीं मिला है. मरीजों की चिंता हमें भी है. यदि ज्यादा परेशानी है, तो मैं भवन को अभी सौंप देता हूं. बाह्य विद्युतीकरण का कार्य पीएमसीएच अपने स्तर से करा ले.
भवन प्रमंडल दोषी : अधीक्षक
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ अरुण कुमार ने कहा कि देरी के लिए भवन प्रमंडल दोषी है. जितना जल्द विभाग भवन सौंपेगा, मरीजों को शिफ्ट करा दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि बिजली व पानी की सुविधा जरूरी है. भवन प्रमंडल को बिजली का कनेक्शन देना होगा. पंखे भी लगाने होंगे.