धनबाद: पीएमसीएच के नेत्र रोग विभाग की व्यवस्था ठीक नहीं है. विभाग में मात्र तीन शिक्षक ही सेवा दे रहे हैं. कहने को तो इंडोर में 21 बेड हैं, लेकिन नेत्र मरीजों की संख्या काफी कम ही होती है. प्राय: वार्ड के खाली ही रहता है. अस्पताल में सीनियर रेसिडेंट के नाम पर चार चिकित्सक हैं. इनमें से तीन की सेवा एसएसएलएनटी में ली जाती है. विभाग के पास वार्ड साइट लैबोरेटरी नहीं है. यही नहीं विभागीय रिसर्च लैबोरेटरी व सेप्टिक वार्ड की भी घोर कमी है. पीएमसीएच प्रबंधन भी शिक्षकों व कर्मियों की कमी का रोना रोता है.
विभाग के पास मात्र 162 किताब : रिकार्ड के अनुसार पीएमसीएच की लाइब्रेरी में 46,533 किताबें हैं, लेकिन नेत्र रोग विभाग के छात्रों के लिए मात्र 162 किताब ही है. अंतिम तीन वर्ष में लेटेस्ट एडिशन की एक भी किताब की खरीदारी नहीं की गयी है. हालांकि हाल में लाइब्रेरी में जरूरतमंद किताब व जर्नल खरीदने के लिए सरकार ने राशि उपलब्ध करायी है.
आइ-बैंक के नाम पर कुछ नहीं : स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के आदेश पर पीएमसीएच में आनन-फानन में आइ-बैंक की स्थापना तो कर दी गयी, लेकिन यहां आइ-बैंक के नाम पर मात्र एक बोर्ड ही है. बाहर दरवाजे पर एक ताला जड़ दिया गया है. इसकी स्थापना वर्ष 2013 में की गयी. स्वास्थ्य मंत्री ने इसे विकसित करने का आश्वासन दिया था,पर अभी तक कोई पहल नहीं की गयी है.
मशीनों के अभाव : नेत्र रोग विभाग के ओपीडी में हर दिन लगभग 130-150 मरीज आते हैं. लेकिन जरूरी मशीन-उपकरणों के अभाव में इंडोर में मात्र 10-12 मरीजों को ही भरती किया जाता है. एमसीआइ की टीम ने निरीक्षण में पाया था कि विभाग के पास ग्रीन लेजर, फंडस कैमरा आदि नहीं है. इस कारण कई रोगों का इलाज नहीं हो पाता.