धनबाद: पीएमसीएच में सफाई व सुरक्षा के नाम पर हर माह लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी स्थिति नारकीय है. इसका खुलासा सोमवार को रांची से आये स्वास्थ्य विभाग की निदेशक (स्वास्थ्य व शिक्षा) डॉ मंजु कुमारी ने किया.
वह पीएमसीएच में सुरक्षा व साफ-सफाई का जायजा लेने आयी थी. उन्होंने साफ-सफाई व सुरक्षा को बेहद खराब पाया. कॉलेज व अस्पताल के टेंडर को रद करने की अनुशंसा मुख्यालय से करने की बात कही. मौके पर सिविल सजर्न डॉ एके सिन्हा, अधीक्षक डॉ के विश्वास, प्राचार्य डॉ पीके सेंगर आदि मौजूद थे.
सुरक्षा में 10 व सफाई में सात लाख : बताया जाता है कि अस्पताल में हर माह सुरक्षा के नाम पर दस लाख रुपये व सफाई के नाम पर हर माह सात लाख रुपये खर्च किये जाते हैं. वहीं कॉलेज में हर माह पांच व सफाई में पांच लाख रुपये खर्च किये जाते हैं. लेकिन वास्तविक स्थिति काफी अलग पायी गयी. अस्पताल में आकांक्षा सिक्यूरिटी सर्विस व कॉलेज में जी अलर्ट को सुरक्षा का ठेका मिला है. टेंडर के अनुसार अस्पताल में गार्ड की संख्या 80 होनी चाहिए थी. इसमें 12 गनमैन, छह सुपरवाइजर, एक सिक्यूरिटी पदाधिकारी होना चाहिए. लेकिन अस्पताल में मात्र फस्ट शिफ्ट में 15 गार्ड ही तैनात मिले. एक गन मैन मिला. बाकी कोई भी नहीं मिला. वहां कॉलेज में पचास की जगह 20-22 गार्ड ही मिले. यहां 56 गार्ड, तीन सुपरवाइजर व एक सिक्यूरिटी पदाधिकारी को रहना है. अस्पताल व कॉलेज में सफाई की जिम्मा जगजीवन सहयोग समिति के जिम्मे है.
न खाता मिला, न रिकार्ड : निदेशक ने जब सुरक्षा व सफाई के लिए खाता व रिकार्ड की मांग की, तो नहीं मिला. गार्ड को कितना वेतन मिलता है, वह खाता नहीं मिला. पता चला कि खाता संवेदक अपने साथ ले जाता है, इस पर निदेशक ने अधीक्षक व प्राचार्य से भी कारण पूछा.
कॉलेज का भी निरीक्षण : मुख्यालय के आदेश के बाद सबसे पहले निदेशक ग्यारह बजे पीएमसीएच पहुंची. इसके बाद अस्पताल के गायनी वार्ड, शिशु वार्ड, इमरजेंसी, रेडियोलॉजी, मेडिसिन आदि विभाग जाकर साफ-सफाई का जायजा लिया. यहां गायनी विभागाध्यक्ष डॉ एसएस दास, डॉ रेखा रानी सिन्हा, डॉ प्रतिभा राय, डॉ आशा राय आदि के साथ बैठक की.
मिले मात्र 15 गार्ड : निदेशक के अस्पताल जाने के क्रम में मेन गेट पर कुछ गार्ड मिले. उन्होंने गार्डो से वेतन आदि के बारे में पूछा. गार्डो ने बताया कि मैडम हमें तीन हजार रुपये मासिक मिलते हैं. पीएफ नहीं मिलता है, कोई रहने के लिए घर आदि नहीं है. इसके बाद निदेशक ने उपस्थित तमाम गार्डो की परेड बुला दी. सभी गार्डो ने साइन किया. इसमें पहले शिफ्ट में मात्र पंद्रह गार्ड ही मिले. इसके बाद बताया गया कि छह सदर अस्पताल में व दो एसएसएलएनटी अस्पताल में गार्ड तैनात है.
सीएस ने भी जतायी हैरानी : निदेशक को एक गार्ड ने बताया कि कोर्ट मोड़ स्थित सदर अस्पताल में छह गार्ड व रात में चार गार्ड तैनात किये जाते हैं. वहीं बैठे सिविल सजर्न ने इस पर हैरानी जतायी. कहा कि हमें तो आज तक नहीं पता कि वहां गार्ड की भी डय़ूटी है. सदर ओपीडी व कार्यालय में तो कभी गार्ड को नहीं देखा है.
रद्द करने के लिए भेजा है नोटिस : निदेशक डॉ कुमारी ने कहा कि सुरक्षा व सफाई एजेंसियों के लिए एक साल का अवधि विस्तार किया जाता है, लेकिन वर्ष 2012 में आकांक्षा को पांच वर्ष का अवधि विस्तार कर दिया गया है. यह नियम विरुद्ध है. वहीं प्राचार्य डॉ सेंगर ने बताया कि एजेंसियों को दो बार नोटिस अपने स्तर से भेजा है. इसके बाद लाइसेंस रद्द किया जा रहा है.