अंडरग्राउंड माइंस में बचायेगा खतरों से
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आइआइटी आइएसएम ने बनाया इंटेलिजेंट हेलमेट
अंडरग्राउंड माइंस में बचायेगा खतरों से पेटेंट के लिए दिया है आवेदन हर गैस के लिए अलग-अलग होगा अलार्म टोन धनबाद : अंडरग्राउंड कोल माइंस में जान हथेली पर लेकर कोलकर्मी कोयला निकालते हैं. हादसे की स्थिति में मजदूरों की जिंदगी ऊपर कंट्रोल रूम से मिलने वाले संकेत पर निर्भर रहती है. कई बार समय […]
पेटेंट के लिए दिया है आवेदन
हर गैस के लिए अलग-अलग होगा अलार्म टोन
धनबाद : अंडरग्राउंड कोल माइंस में जान हथेली पर लेकर कोलकर्मी कोयला निकालते हैं. हादसे की स्थिति में मजदूरों की जिंदगी ऊपर कंट्रोल रूम से मिलने वाले संकेत पर निर्भर रहती है. कई बार समय रहते खतरे की सूचना नहीं मिल पाती है. इस स्थिति में मजदूरों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. लेकिन अब जल्द ही उनके सिर पर एक ऐसा इंटेलिजेंट हेलमेट होगा जो न सिर्फ अंडर ग्राउंड माइंस के अंधेरे गलियारों में रास्ता दिखायेगा,
बल्कि वहां मौजूद हर खतरे से समय रहते मजदूरों को अागाह भी कर देगा. इस इंटेलिजेंट हेलमेट को बनाया है आइआइटी (आइएसएम) के माइनिंग मशीनरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ तन्मय मैती और रिसर्च स्कॉलर मयंक शर्मा की जोड़ी ने. अभी इसके इंडियन पेटेंट के लिए आवेदन दिया गया है
आइआइटी आइएसएम
ऐसे करेगा अगाह
इस हेलमेट के अंदर इन सब खतरों को भांपने के लिए अलग अलग सेंसर लगा होगा. हेलमेट में हर काम के लिए अलग अलग सेंसर लगाये गये हैं. यह सभी खदान के अंदर जहरीली गैसों का रियल टाइम मॉनीटरिंग करने में सक्षम है. खतरे का संकेत मिलते ही इस में लगा अलार्म बज उठेगा. साथ ही यह वॉयस मैसेज भी जोर-जोर से देने लगेगा. इससे समय रहते मजदूर उस जगह से हट जायेंगे. इन फीचर्स के साथ ही इसमें थर्मामीटर भी लगा है. जो खदान के तापमान से मजदूरों को अवगत करता रहेगा. इसके साथ इसमें ऑक्सीजन की पहचान करने के लिए अलग से सेंसर लगा हुआ है. इसमें लगा हर सेंसर का अलार्म टोन अलग-अलग रखा गया है. अलार्म की ध्वनि से अंदाजा लगाया जा सकता है यहां कौन सी गैस मौजूद है.
बेहद हाइटेक है यह हेलमेट
इसमें एकीकृत वायरलेस माइक्रोकंट्रोलर का इस्तेमाल किया गया है. इससे डेटा प्रसंस्करण और तेज हो जाता है. जिससे हेलमेट जल्द निर्णय ले सकता है. साथ ही खदान के अंदर के वातावरण की असामान्य स्थिति को ध्वनि या दृश्य सटीक रूप से सूचित करता है. इसके साथ ही यह ऊपर कंट्रोल रूम से भी जुड़ा हुआ रहेगा.
नहीं उतार पायेगा कोई हेलमेट
इस इंटेलिजेंट को एक बार पहन लेने के बाद कोई इसे काम खत्म करने के बाद ही उतार पायेगा. अगर कोई मजदूर काम के दौरान सिर से हेलमेट उतारता है तो इसकी जानकारी ऊपर कंट्रोल को मिल जायेगी. इस से अधिकारियों को उस मजदूर की स्थिति की फौरन जानकारी मिल जायेगी.
इंटेलिजेंट हेलमेट कैसे
अंडरग्राउंड कोल माइंस में सबसे अधिक खतरा अति ज्वलनशील व जहरीली गैसों का होता है. इनमें मिथेन, कार्बन मोनोअॉक्साइड और कभी-कभी बेहद खतरनाक हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैस शािमल है. इसके साथ खदान के अंदर ह्यूमिडिटी का स्तर भी खनिकों के लिए मुश्किल हालात पैदा कर देते हैं. यह इंटेलिजेंट हेलमेट इन सब खतरों को वक्त रहते हीं भांप लेगा और उसे पहनने वाले को अागाह कर देगा.
डीएसटी से मिला है प्रोजेक्ट
इस स्मार्ट हेलमेट बनाने का प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से मिला है. अभी इसका प्रोटोटाइप बन कर तैयार हो गया है. इसमें लगे सभी सेंसर सही तरीके से काम कर रहे हैं. खनन उद्योग में इस्तेमाल के लिए यह सबसे बेहतर हेलमेट होगा. अभी इसकी डिजाइन इंटीलेक्चुअल प्रोपर्टी इंडिया के पास पेटेंट के लिए विचाराधीन है. इसके जल्द मिलने की उम्मीद है. इसके बाद इसे इंडस्ट्रीयल उपयोग की मंजूरी के लिए खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के पास भेजा जायेगा. इस में एक वर्ष लग जायेगा.
डॉ तन्मय मैती, एसोसिएट प्रोफेसर, माइनिंग मशीनरी डिपार्टमेंट, आइआइटी (आइएसएम)
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