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23 वर्षों से थैलेसिमिया से लड़ रही अमृता, 593 यूनिट ब्लड चढ़ा

पांच माह की उम्र से चढ़ रहा ब्लड बोकारो में नहीं मिला ब्लड, पीएमसीएच में भर्ती धनबाद : बोकारो की अमृता 23 वर्षों से गंभीर बीमारी थैलेसिमिया से लड़ रही है. अब तक अमृता को 593 यूनिट ब्लड चढ़ चुका है. बोकारो में अमृता को ब्लड नहीं मिला, इस कारण उसे पीएमसीएच में आकर भर्ती […]

पांच माह की उम्र से चढ़ रहा ब्लड

बोकारो में नहीं मिला ब्लड, पीएमसीएच में भर्ती
धनबाद : बोकारो की अमृता 23 वर्षों से गंभीर बीमारी थैलेसिमिया से लड़ रही है. अब तक अमृता को 593 यूनिट ब्लड चढ़ चुका है. बोकारो में अमृता को ब्लड नहीं मिला, इस कारण उसे पीएमसीएच में आकर भर्ती होना पड़ा है.
समाजिक कार्यकर्त्ता अंकित राजगढ़िया ने अमृता के लिए रक्त उपलब्ध कराया. फिलहाल अमृता पीएमसीएच के जेनेटिक वार्ड में भर्ती है. गंभीर बीमारी के बावजूद अमृता ने बी कॉम तक की पढ़ाई की है. फिलहाल एक एनजीओ में अकाउंटेट की नौकरी कर रही है. पिता ओम प्रकाश दास भी किसी तरह रोजी-रोटी चलाते हैं. अमृता अपनी घर की एकलौती बेटी है.
नहीं मिली सरकारी मदद
अमृता ने बताया कि पांच माह की थी, तब बीमारी के बारे में पता चला. जब से ब्लड चढ़ रहा है. इसके बाद कई संस्थाएं, अस्पताल आदि की सहयोग से ब्लड मिलता रहा. फिलहाल कोलकाता से इलाज चल रहा है. कहा कि घर मे एकलौती बेटी हूं. दुःखद बात यह है कि सरकार ने आज तक हमें कोई मदद नहीं की है. दवाई से लेकर आदि खर्च खुद से वहन करते हैं.
दूसरे राज्यों में नि:शुल्क दवा
थैलेसिमिया बच्चों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अंकित राजगढ़िया ने बताया कि थेलेसिमिया जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति सरकार का रवैया नकारात्मक है. दवाई भी नही मिलती है. इससे बच्चों का जीवन खतरे में रहता है. दूसरे राज्यों में नि:शुल्क दवा उपलब्ध कराया जाता है.

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