धनबाद : चिकित्सकों की एक दिनी हड़ताल के कारण पीएमसीएच में इलाज कराने आये आदिम जनजाति के अर्जुन बिरहोर (40) को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. अर्जुन इमरजेंसी के गेट के पास चार घंटे तक तड़पता रहा, लेकिन चिकित्सकों ने उसे नहीं देखा. कमजोरी व ठंड की शिकायत के बाद पूर्वाह्न 11 बजे परिजन […]
धनबाद : चिकित्सकों की एक दिनी हड़ताल के कारण पीएमसीएच में इलाज कराने आये आदिम जनजाति के अर्जुन बिरहोर (40) को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. अर्जुन इमरजेंसी के गेट के पास चार घंटे तक तड़पता रहा, लेकिन चिकित्सकों ने उसे नहीं देखा. कमजोरी व ठंड की शिकायत के बाद पूर्वाह्न 11 बजे परिजन मरीज को पीएमसीएच लेकर आये थे. अपराह्न 3.30 बजे अर्जुन को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया. अर्जुन के बड़े भाई छोटा मंगल बिरहोर ने बताया कि तबीयत खराब होने के बाद चलकरी में चिकित्सक से दिखाया था. वहां से उसे पीएमसीएच जाने की सलाह दी गयी.
यहां आने के बाद चिकित्सकों ने काफी देर से देखा. वे लोग भूखे-प्यासे बैठे रहे. पीएमसीएच में अर्जुन की पत्नी छोटा पनवा बिरहोईन, पुत्र प्रमोद बिरहोर, भाई जेठू बिरहोर भी आये थे.
पत्थर तोड़ने में गयी एक आंख : अर्जुन बिरहोर के भाई छोटा मंगल बिरहोर ने बताया कि चार वर्ष पूर्व अर्जुन पत्थर तोड़ने का काम करता था. इसी दौरान एक पत्थर छिंटक कर उसकी आंख में चल गया और फूट गयी. कुछ दिन के बाद पत्थर तोड़ने का काम भी बंद हो गया. अभी जैसे-तैसे परिवार का गुजारा कर रहा है.
रस्सी बनाकर करते हैं जीवन यापन : छोटा मंगल ने बताया कि परिवार के सदस्य रस्सी व टोकरी बनाकर जीवन-यापन करते हैं. मनरेगा के तहत गांव के लोगों को काम नहीं मिल रहा है. राशन भी नियमित नहीं मिलता है. कभी दस तो कभी 20 दिन देरी हो जाती है. गांव में चिकित्सक सप्ताह में तीन दिन बैठते हैं, लेकिन दवा नहीं मिलती है. ऐसे में बीमार होने के बाद बाहर इलाज कराना पड़ता है.
कमजोरी व ठंड की शिकायत पर पूर्वाह्न 11 बजे लेकर आये थे परिजन
तोपचांची प्रखंड के चलकरी का रहनेवाला है मरीज
अपराह्न तीन बजे चिकित्सक ने शुरू किया इलाज
चिकित्सकों की हड़ताल के चलते परेशान हुए लोग
इमरजेंसी में मरीजों की काफी संख्या हो गयी थी. इस कारण थोड़ी परेशानी हुई है. मरीज को चिकित्सकों ने देखा. भर्ती कर इलाज किया जा रहा है.
डॉ विकास राणा, प्रवक्ता, पीएमसीएच