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आरोपी को सजा दिलाने की बजाय सुलह समझौते पर संस्थाओं का जोर, धनबाद में बढ़ा है घरेलू हिंसा का ग्राफ

धनबाद: ये आंकड़े और केस स्टडी बताते हैं कि धनबाद में घरेलू हिंसा का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. कहीं वह दहेज प्रताड़ना का शिकार हो रही हैं तो कहीं शराबी पति के जुल्म का. कहीं पति दूसरी शादी कर लेता है तो कहीं बेटी के जन्म लेने पर उसे प्रताड़ित किया जाता है. कहीं […]

धनबाद: ये आंकड़े और केस स्टडी बताते हैं कि धनबाद में घरेलू हिंसा का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. कहीं वह दहेज प्रताड़ना का शिकार हो रही हैं तो कहीं शराबी पति के जुल्म का. कहीं पति दूसरी शादी कर लेता है तो कहीं बेटी के जन्म लेने पर उसे प्रताड़ित किया जाता है. कहीं सास प्रताड़ित करती हैं तो कहीं पति खाना-खोराकी बंद कर देता है. महिलाओं को प्रताड़ना से बचाने के लिए, न्याय दिलाने के लिए महिला थाना, जिला पुलिस महिला कोषांग, परिवार परामर्श केंद्र धनबाद में कार्य कर रहे हैं. लेकिन यह सिलसिला रुकने के बजाय बढ़ता ही जा रही है.
महिला थाना में रोज आते हैं तीन से चार मामले
महिला थाना प्रभारी सरिता कच्छप कहती हैं थाना में प्रतिदिन तीन से चार मामले घरेलू हिंसा के आते हैं. हमारा प्रयास होता है दोनों पक्ष की काउंसेलिंग कर घर बसाना. एफआइआर बहुत जरूरी होने पर ही की जाता है. कभी दो से तीन काउंसेलिंग तो कभी लंबे समय तक काउंसेलिंग करनी पड़ती है. सहमति बनने पर थाना से बांड भर कर विदाई दी जाती है. हर महीने उन्हें थाना में आकर उपस्थिति दर्ज करानी होती है.
ज्यादा मामले नशाखोरी व दहेज प्रताड़ना के परिवार परामर्श केंद्र की जिला समन्वयक आशा महतो कहती हैं दस सालों से परिवार परामर्श केंद्र घरेलू हिंसा के मामले सलटा रहा है. हमारी टीम स्पॉट पर जाकर मामले की जांच करने के बाद कार्रवाई करती हैं. अधिकतर मामले नशाखोरी और दहेज प्रताड़ना के आते हैं. लेकिन अब महिलाएं अपने अधिकार को लेकर जागरूक हो रही हैं. अपने खिलाफ होनेवाले घरेलू हिंसा के विरुद्ध न्याय पाने के लिए थाना, एनजीओ में आ रही हैं.
शनिवार को महिला थाना में लगती है अदालत
2005 से जिला पुलिस महिला कोषांग कार्यरत है. कोषांग की सदस्य सह अधिवक्ता लोपामुद्रा चक्रवर्ती कहती हैं हर शनिवार को कोषांग की अदालत महिला थाना में लगती है. जहां घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, प्रताड़ना संबंधी केस आते हैं. कोषांग से प्रबुद्ध महिलाएं मामले की जांच करती हैं. काउंसेलिंग कर समझौता कराया जाता है. कोषांग के अच्छे कार्य के लिए वर्ष 2006 में उस समय के एसपी बलबीर सिंह दुआ द्वारा सदस्यों को सम्मानित किया गया था.
महिलाओं को होनी चाहिए कानून की पूरी जानकारी
महिला अधिवक्ता आकांक्षा अनिल कहती हैं हमारे संविधान में घरेलू हिंसा और प्रताड़ना संबंधी कई धारा है. महिलाओं को कानून की जानकारी होनी चाहिए. महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार इसलिए भी हो रही है कि अभी तक वे शिक्षित नहीं हो पायी है. महिलाओं को कानून की जानकारी बहुत ही जरूरी है, तभी महिलाएं अपने कानूनी अधिकार का उपयोग कर पायेंगी. घरेलू हिंसा व प्रताड़ना का विरोध भी कर पायेंगी.
क्या होती है घरेलू हिंसा
किसी भी महिला के साथ घर की चहारदीवारी के अंदर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा, मारपीट, उत्पीड़न आदि के मामले इसी कानून के तहत आते हैं. यौन उत्पीड़न के मामलों में अलग कानून है लेकिन उसे इसके साथ जोड़ा जा सकता है. महिला को ताने देना, गाली देना, उसका अपमान करना, उसकी मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना, जबरन शादी के लिए बाध्य करना आदि जैसे मामले भी घरेलू हिंसा के दायरे में आते हैं. पत्नी को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करना, या फिर नौकरी करने से रोकना, दहेज की मांग के लिए मारपीट करना आदि भी इसके तहत आ सकते हैं.

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