धनबादः खालसा पंथ के 315वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर बड़ा गुरुद्वारा में 68 बंदों ने अमृत छका. आसनसोल से आये पंच प्यारों ने बंदों को अमृत छकाया. अमृत छकनेवालों में 43 पुरुष एवं 25 महिलाएं थीं. अमृत छकने के बाद सबों ने पंच ककार पालन का संकल्प लिया.
क्या है पंच ककार : पंच ककार में केश, कड़ा, कंधा, कृपाण एवं कचहरा आता है. केश सिखों को भीड़ में अलग पहचान दिलाता है. कड़ा पहन कर सिख न तो जुल्म कर करेंगे, न सहेंगे का प्रण करते हैं. कंघा- सिखों को दो समय कंघा करना चाहिए. इससे आलस्य नहीं आता, दरिद्रता मिटती है. कृपाण सिखों में वीरता पैदा करती है. काम वासना को काबू में रखने के लिए कचहरा(कच्छा) पहनने का हुक्म गुरु साहेब ने सिखों को दिया था.
चार कुरायत : गुरु गोविंद सिंह ने सिखों को चार कुरायतों से बचने का हुक्म दिया था. चार कुरायतों में केश न कटाना, पर स्त्री संग संगत न करना, नशा से परहेज व एहतियात से मांसाहार का सेवन करना. गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें व अंतिम गुरु थे. उन्होंने सिखों से कहा था कोई भी देहधारी गुरु नहीं होगा. गुरु ग्रंथ साहेब ही सिखों के गुरु हैं. आस्था पर अकाल की सबै चलायो पंत, सब सिखन न हुक्म है गुरु मानयो ग्रंथ.
ये हैं सक्रिय : गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष पलविंदर सिंह, महासचिव मंजीत सिंह, सचिव सतपाल सिंह ब्रोका, सरदार राजेंद्र सिंह चहल, देवेंद्र सिंह गिल, दलबारा सिंह, गुरचरण सिंह माजा, तीरथ सिंह, तेजपाल सिंह आदि.
गुरुद्वारा में बैसाखी उत्सव आज : सोमवार को पंजाबी समुदाय का नया साल ‘बैसाखी’ है. जीजीपीएस ग्राउंड में कल सुबह 11 बजे से बैसाखी उत्सव मनाया जायेगा. फतेहगढ़ से आये ठाढ़ी जत्था व रागी जत्था सबद कीर्तन करेंगे. दोपहर में गुरु का अटूट लंगर बरसेगा.