वह कोलफील्ड गुजराती समाज के अध्यक्ष, झरिया गुजराती समाज के उपाध्यक्ष, जैन श्वेतांबर थानकवासी संघ के संघपति, झरिया गुजराती हिंदी मध्य विद्यालय समिति के अध्यक्ष व झरिया नागरिक संघ के उपाध्यक्ष थे. वह झरिया धनबाद गोशाला व अखिल भारतीय स्तर की अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए थे. विभिन्न अस्पतालों को उन्होंने दान दिये थे. अधिवक्ता हरीश जोशी ने बताया कि चंद्रकांत भाई संघवी के पिता स्व. वीरजीरतनसी संघवी दो सौ साल पहले गुजरात कच्छ के मुंडरा नामक शहर से झरिया आये थे.
उन्होंने ही धीरे-धीरे गुजरात से कई लोगों को झरिया बुलाया और बसाया. उसके बाद उन्होंने गुजराती समाज का गठन किया. खदानों के राष्ट्रीयकरण से पूर्व सभी कोलियरियों में कार्यरत कर्मियों को वेतन भुगतान के लिए राशि का भुगतान वीरजी बैंक से ही जाता था. यह उस समय एक मात्र बैंक यही था. बस्ताकोला गोशाला में गुरुवार को दाह संस्कार किया जायेगा. बुधवार को अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास गुजराती मुहल्ला झरिया में शव रखा जायेगा.