बीआइटी सिंदरी जिसकी स्थापना वर्ष 1949 में अविभाजित बिहार में हुई थी एक समय देश के प्रीमियम इंजीनियरिंग कॉलेज में होता था. बाद के समय में इसकी स्थिति गड़बड़ायी. झारखंड बनने के बाद इसका नाम बदला. लेकिन, स्थिति बहुत नहीं बदली. लेकिन, पिछले दो-तीन वर्षों से उच्च शिक्षा एवं तकनीक शिक्षा विभाग संस्थान की तस्वीर बदलने में लगा है.
लेकिन, इसमें सबसे बड़ी बाधा शैक्षणिक पदों को भरना है. बीआइटी के निदेशक डॉ डीके सिंह के अनुसार संस्थान में प्राध्यापकों के कुल 256 पद स्वीकृत हैं. इसमें से अभी 72 ही कार्यरत हैं. जबकि संस्थान में नये कोर्स भी शुरू हुए हैं. शुरुआत में यहां तीन ट्रेड में ही बी टेक की पढ़ाई होती थी. आज कई ट्रेडों में बी टेक के अलावा एम टेक के साथ-साथ पीएचडी की डिग्री भी दी जा रही है.