धनबादः गरमी के बढ़ते ही बिजली संकट भी बढ़ गया है. कब बिजली कट जाये, कोई नहीं जानता. सुबह में गहरी नींद के वक्त भी बिजली चली जाती है. सारा दिन खराब हो जाता है. बिजली जाने का सिलसिला चौबीसों घंटे जारी रहता है.
चुनाव के दिन हैं, नेताओं को उलाहने सुनने पड़ते हैं. आप लोगों ने क्या किया, ढंग से बिजली तक नहीं दे सकते! बिजली विभाग का कहना है कि जितनी बिजली की जरूरत है, उतनी मिल नहीं रही है. यहां जरूरत है 170 मेगावाट की और मिल रही है 160 मेगावाट. बिजली कटने के भी विभाग के पास सौ बहाने हैं. आप पूछ कर तो देखिये. यह हालत तब है जब हर साल गरमी या बरसात के पहले मेंटेनेंस के नाम पर घंटों बिजली गुल रखी जाती है. लेकिन विद्युतापूर्ति कभी सुचारू रूप से नहीं हुई. धनबाद के ऊर्जा विभाग के अधीक्षण अभियंता राम उद्गार महतो ने कहा कि गरमी में थोड़ी दिक्कत होती है.
लेकिन पहले से स्थिति में सुधार है. जबकि इइ अशोक कुमार ने बताया कि जाड़े के मौसम की तरह बिजली की आपूर्ति कर पाना संभव नहीं हो पाता. क्योंकि जितनी खपत है, उससे कम बिजली मिलती है. साथ ही ऐसी व्यवस्था है कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति नहीं की जा सकती. इसके अलावा डीवीसी और ऊर्जा विभाग के जो भी तार और ट्रांसॅाफर्मर लगे हैं, वे पुराने हो चुके हैं.