इस वर्ष शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो रही है. दुर्गोत्सव (षष्टी से विजयादशमी) 26 से 30 सितंबर तक मनाया जायेगा. पूजा पंडालों में देवी की प्रतिमा षष्टी के दिन आती है व दशमी के दिन विसर्जन होता है. देवी की अराधना के लिए हर जगह तैयारी शुरू है. मूर्तिकार जहां प्रतिमा निर्माण में लग गये हैं. वहीं बड़ी-बड़ी पूजा समिति पंडालों का निर्माण शुरू करा चुकी हैं. लाइटिंग फाइनल हो रही है. इस वर्ष पूजा थोड़ा पहले हो रही है. इसलिए आयोजकों के पास समय का अभाव है. बाजार में भी पूजा के लिए कपड़ा आदि का स्टॉक होने लगे हैं. कई स्थानों पर ऑफर भी दिये जा रहे हैं.
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डोली पर आयेंगी व पैदल जायेंगी मां दुर्गा
धनबाद: कोयलांचल में दुर्गोत्सव की तैयारी शुरू हो गयी है. कई जगह पंडालों का निर्माण शुरू हो चुका है तो कई स्थानों पर अभी कमेटियां बन रही है. इस बार देवी दुर्गा का आगमन डोली पर होने जा रहा है. जबकि जाने पर मतांतर है. इस वर्ष शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो रही […]
धनबाद: कोयलांचल में दुर्गोत्सव की तैयारी शुरू हो गयी है. कई जगह पंडालों का निर्माण शुरू हो चुका है तो कई स्थानों पर अभी कमेटियां बन रही है. इस बार देवी दुर्गा का आगमन डोली पर होने जा रहा है. जबकि जाने पर मतांतर है.
इस वर्ष शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू हो रही है. दुर्गोत्सव (षष्टी से विजयादशमी) 26 से 30 सितंबर तक मनाया जायेगा. पूजा पंडालों में देवी की प्रतिमा षष्टी के दिन आती है व दशमी के दिन विसर्जन होता है. देवी की अराधना के लिए हर जगह तैयारी शुरू है. मूर्तिकार जहां प्रतिमा निर्माण में लग गये हैं. वहीं बड़ी-बड़ी पूजा समिति पंडालों का निर्माण शुरू करा चुकी हैं. लाइटिंग फाइनल हो रही है. इस वर्ष पूजा थोड़ा पहले हो रही है. इसलिए आयोजकों के पास समय का अभाव है. बाजार में भी पूजा के लिए कपड़ा आदि का स्टॉक होने लगे हैं. कई स्थानों पर ऑफर भी दिये जा रहे हैं.
क्या कहते हैं पंचाग : मिथिला पंचांग के अनुसार इस वर्ष देवी का आगमन डोली पर हो रहा है. जबकि प्रस्थान पैदल करेंगी. पंडित गुणानंद झा के अनुसार डोली पर आना कष्टकारक होता है. पृथ्वी पर परेशानी होती है. अकाल मौतें होती है. देवी का पैदल जाना भी शुभ नहीं है. लेकिन राहत की बात है कि इस बार दुर्गा पूजा पूरे दस दिनों की है. कोई तिथि क्षय नहीं है. काशी ऋषि पंचांग के अनुसार भी इस वर्ष देवी दुर्गा का आगमन डोली पर है. वेदाचार्य पंडित रमेश चंद्र त्रिपाठी के अनुसार डोली पर देवी का आगमन शुभ लाभदायक नहीं है. इससे वैश्विक संकट का खतरा रहता है. मार-काट की संभावना रहती है. उत्पात होता है. बांग्ला पंचांग के अनुसार इस बार देवी दुर्गा का अागमन नाव पर तथा विदाई घोड़ा से होगी. भारत सेवाश्रम संघ के प्रयागत्मानंद महाराज के अनुसार नाव पर आने से भारी बारिश होती है. बाढ़ आती है. जबकि घोड़ा पर जाने से छत्र भंग अर्थात हर क्षेत्र में उथल-पुथल होगा.
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