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एसएसएलएनटी अस्पताल को सरकार ने बरबाद कर दिया

धनबाद : झारखंड राज्य चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का प्रथम सम्मेलन टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित अस्पताल (एसएसएलएनटी अस्पताल विशेष इकाई) सभागार में हुआ. मुख्य अतिथि झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी संघ के महामंत्री अशोक कुमार सिंह थे. उन्होंने कहा एसएसएलएनटी अस्पताल का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. लेकिन इसे सरकार ने बरबाद कर दिया. संगठन […]

धनबाद : झारखंड राज्य चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ का प्रथम सम्मेलन टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित अस्पताल (एसएसएलएनटी अस्पताल विशेष इकाई) सभागार में हुआ. मुख्य अतिथि झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी संघ के महामंत्री अशोक कुमार सिंह थे. उन्होंने कहा एसएसएलएनटी अस्पताल का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है.

लेकिन इसे सरकार ने बरबाद कर दिया. संगठन पिछले एक वर्ष से प्रयासरत है कि इसे पूर्ण रूप से खोला जाये. लेकिन यहां के कर्मचारियों को दूसरे अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया है. सरकार से संगठन मांग करती है कि यहां के वे कर्मी, जो दूसरी जगह प्रतिनियुक्त हैं, उन्हें यहां लाया जाये. एसएसएलएनटी अस्पताल का नियंत्रण पीएमसीएच के पास है. पीएमसीएच प्रबंधन यहां तीन से चार करोड़ रुपये खर्च मरम्मत का काम करवा चुका है. लेकिन काम नहीं दिख रहा है. सब पैसे भ्रष्टाचार में चले गये. झारखंड बनने के बाद कर्मियों का प्रोमोशन नहीं हुआ है.

बिहार में चतुर्थ वर्गीय को तृतीय वर्ग में किया है, झारखंड में सरकार ध्यान नहीं दे रही है. पिछले दिनों सरकार के साथ समस्याएं को लेकर वार्ता हुई थी. लेकिन सरकार अब वादाखिलाफी कर रही है. संगठन एक माह का समय देता है, यदि मांगें पूरी नहीं हुई तो चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जायेगा. संघ के राज्य अध्यक्ष दिलीप कुमार साह ने कहा कि सरकार कर्मियों का शोषण कर रही है. सरकार नीति व नीयत को बदले. जिला महामंत्री नंदलाल गोप ने कहा कि सरकार हमारी मांगें पूरी करे. इस दौरान संजू कुमार सहाय संगठन से जुड़े. मौके पर अस्पताल अधीक्षक डॉ जीतेश रंजन, अशोक कुमार नयन, अमरनाथ सिंह, वीरेंद्र कुमार सिंह, मनोरंजन कुमार, भूवन पंडित, रूपेश कुमार, अंजार अहमद, उमेश चौधरी, ओम प्रकाश, राजकुमार पाल, सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता, नीतेश कुमार आदि मौजूद थे.
मातृत्व अवकाश में भेदभाव ठीक नहीं :अशोक सिंह ने कहा कि सरकार मातृत्व अवकाश में भेदभाव कर रही है. स्थायी महिला कर्मियों के लिए जहां यह अवकाश 180 दिनों का होता है, वहीं अनुबंध पर कार्यरत महिलाओं को मात्र 90 दिन ही मिलते हैं. आउटसोर्सिंग के नाम पर भ्रष्टाचार होता है. इसे बंद कर स्थायी बहाली निकालनी चाहिए.
कर्मियों पर कार्रवाई अफसरों पर रहम
राज्य सरकार स्वास्थ्य योजनाअों में टारगेट नहीं पूरा होने पर कर्मियों को निशाना बनाकर कार्रवाई कर रही है, लेकिन पदाधिकारी बच जाते हैं. स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की कमी है. एक-दो नर्स की ड्यूटी रहती है, सरकार कहती है कि डिलिवरी कराओ. एक नर्स अकेले क्या कर सकती है. कुछ गलती हुई तो गांव वालों का आक्रोश झेलना पड़ेगा, तो दूसरी ओर नहीं करने पर टारगेट नहीं पूरा बता कर सरकार कार्रवाई कर देती है.

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