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बिल रखने का झंझट दूर करेगा आइआइटी स्टूडेंट्स का स्टार्ट अप
धनबाद: टीवी का बिल हो या मोबाइल का, लाइफ इंश्योरेंस हो या कार के बीमा के कागजात, इन सभी कागजात और बिल रखने में परेशान हैं तो आइआइटी आइएसएम, धनबाद के स्टूडेंट्स का नया स्टार्ट अप आपको राहत दे सकता है. यह न केवल आपके सभी सामानों के बिल का ख्याल रखेगा, बल्कि इंश्योरेंस-रिन्यूअल जैसी […]
धनबाद: टीवी का बिल हो या मोबाइल का, लाइफ इंश्योरेंस हो या कार के बीमा के कागजात, इन सभी कागजात और बिल रखने में परेशान हैं तो आइआइटी आइएसएम, धनबाद के स्टूडेंट्स का नया स्टार्ट अप आपको राहत दे सकता है. यह न केवल आपके सभी सामानों के बिल का ख्याल रखेगा, बल्कि इंश्योरेंस-रिन्यूअल जैसी महत्वपूर्ण तिथि को समय से पहले याद भी करा देगा. इस स्टार्ट अप का नाम है बिन बिल. इसमें संस्थान के दो स्टूडेंट्स शामिल हैं, जिसमें एक इसके फाउंडर 2004 बैच के माइनिंग इंजीनियरिंग के छात्र रोहित कुमार हैं एवं दूसरे 2016 बैच के छात्र प्रांजल अग्रवाल. इस स्टार्ट अप में कई लोग निवेश भी कर चुके हैं.
एक जगह पर सभी जानकारी : यूजर्स को बिन बिल में एक जगह पर सभी सामानों की जानकारी मिलेगी, जिसका वे इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके साथ ही ग्राहक यहां संबंधित उत्पादक से भी जुड़े रहते हैं, जो उन्हें वारंटी एवं इंश्योरेंस जैसे मामलों में मदद करते हैं. इसके अलावा कोई सामान खराब हो गया हो तो उसकी मरम्मत करने वालों की जानकारी का विकल्प भी यहां हैं. गुरुवार को स्टार्ट अप की शुरुआत की गयी और पहले ही दिन पोर्टल में करीब 200 रजिस्ट्रेशन हो गये.
कंपनियों को भी लाभ : प्रांजल बताते हैं कि बिन बिल से प्रोडक्ट बनाने वाली संबंधित कंपनियों को भी लाभ होगा. कंपनियां यह जानना चाहती हैं कि उनके प्रोडक्ट से ग्राहक कितना संतुष्ट हैं. जिस चीज को भी आप खरीदते हैं महीनों बाद भी उसका अनुभव यहां शेयर कर सकते हैं. इससे टैक्स चोरी को कम करने में भी मदद मिलेगी.
कैसे काम करता है ‘बिन बिल’
यूजर व्हाट्सएप्प, इ-मेल आदि के माध्यम से बिन बिल को अपने बिल, इनवॉइस, इंश्योरेंस, वैरेंटी डॉक्यूमेंट भेजते हैं, जिसे बिन बिल की टीम डैश बोर्ड (इ-होम) में क्रिएट करती है. इसके साथ ही यूजर खुद भी अपने दस्तावेज बिन बिल में अपलोड कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया से प्रेरित होकर स्टार्ट अप ने पूरे बिलिंग सिस्टम को डिजिटाइज कर दिया है. साथ ही सभी बिल को पेपरलेस भी बना दिया है.
कैसे आया आइडिया
रोहित मुजफ्फरपुर से हैं. संस्थान से पास आउट होने के बाद टाटा स्टील, इलेक्ट्रो स्टील, अडानी, क्रिसिल में काम किया. उन्होंने एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर से एमबीए भी किया है. स्टार्ट अप का यह आइडिया उन्हें तब आया, जब उनका माइक्रोवेव खरीदारी के छह महीने बाद ही खराब हो गया और उसका बिल गुम हो गया. दरअसल नौकरी के कारण उन्हें लगातार एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट होना पड़ा था और इस कारण घर के सामानों का बिल संभाल कर रखना आसान नहीं था. जब वे क्रिसिल, गुड़गांव में थे, तब उन्होंने एक ऐसी चीज बनाने की सोची, जो उनके सभी बिल को एक जगह पर रख सके.
बचपन से उद्यमी हैं प्रांजल
प्रांजल सुलतानपुर (उत्तरप्रदेश) से हैं और बचपन से ही उद्यमी रहे हैं. स्कूल में नौवीं कक्षा के दौरान स्कूल का न्यूजलेटर यूथ आवाज की बिक्री स्कूल में ही किया करते थे. इस न्यूजलेटर में स्कूल, प्रतियोगी परीक्षाएं एवं छात्रवृत्ति संबंधी खबरें रहती थी. कॉलेज (आइआइटी आइएसएम) में वे बसंत (कॉलेज एल्यूमिनाय फेस्ट) के को-ऑर्डिनेटर एवं अंतरराष्ट्रीय छात्र संगठन एआइइएसइसी के अध्यक्ष रहे. कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ एक व्यापार हाई टेल्स शुरू किया था, जो लोगों के लिए ट्रिप प्लान करती थी. रोहित ने प्रांजल को अपने स्टार्ट अप में साथ आने को कहा.
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